सार
पाकिस्तान से लेकर चाइना, अमेरिका तक में मीडिया ने अयोध्या में भूमि विवाद पर आए फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसले पर खबरें दीं।
नई दिल्ली. पूरे 165 साल से चल रहे अयोध्या राम जन्म भूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर शनिवार 9 नवंबर को फैसला आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने 1,045 पन्नों के पेज में मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन देते हुए राम मंदिर निर्माण के आदेश दे दिए हैं। पाकिस्तान से लेकर चाइना, अमेरिका तक में मीडिया ने अयोध्या में भूमि विवाद पर आए फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसले पर खबरें दीं। इसलिए हम आपको अंतरराष्ट्रीय मीडिया कवरेज की कुछ जानकारी साझा कर रहे हैं। हम बता रहे हैं कि किस तरह विदेशी मीडिया पर कोर्ट के फैसले पर मत दिए गए। देखिए एक नजर-
अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने कहा कि दशकों पुराने विवाद में यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ी जीत है। अखबार ने कहा कि भगवान राम के लिए विवादित स्थल पर मंदिर बनाना लंबे समय से भाजपा का उद्देश्य था। अखबार ने आगे लिखा, “भारत की सुप्रीम कोर्ट ने देश के सबसे विवादित धार्मिक स्थल को ट्रस्ट को देने का आदेश दिया और जिस जगह कभी मस्जिद हुआ करती थी, उस जगह हिंदू मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ कर दिया।”
द गार्जियन
ब्रिटिश अखबार गार्जियन ने भी इसे प्रधानमंत्री मोदी और भारतीय जनता पार्टी की बड़ी जीत बताया। अखबार ने लिखा कि अयोध्या में राम मंदिर बनाना उनके राष्ट्रवादी एजेंडे का हिस्सा रहा है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब देश के 20 करोड़ मुस्लिम सरकार से डर महसूस कर रहे हैं। अखबार ने कहा कि 1992 में मस्जिद ढहाया जाना भारत में धर्मनिरपेक्षता के नाकाम होने का बड़ा क्षण था।”
गल्फ न्यूज
दूसरी तरफ संयुक्त अरब अमीरात की वेबसाइट गल्फ न्यूज लिखता है, “134 साल का विवाद 30 मिनट में सुलझा लिया गया। हिंदुओं को अयोध्या की जमीन मिलेगी। मुस्लिमों को मस्जिद के लिए वैकल्पिक जमीन दी जाएगी।”
द डॉन
पाकिस्तानी अखबार ‘द डॉन’ ने लिखा, “भारत की सुप्रीम कोर्ट ने उस विवादित स्थल पर, जहां हिंदुओं ने 1992 में मस्जिद गिराई थी हिंदुओं के पक्ष में फैसला सुना दिया और कहा कि अयोध्या की जमीन पर मंदिर बनाया जाएगा। हालांकि, कोर्ट ने यह मान लिया कि 460 साल पुरानी बाबरी मस्जिद को गिराना कानून का उल्लंघन था। कोर्ट के फैसले से भारत के हिंदू-मुस्लिमों के बीच भारी हुए संबंधोंं पर बड़ा असर पड़ सकता है।”
न्यूयॉर्क टाइम्स
अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के फैसले से हिंदुओं उस जगह मंदिर बनाने की अनुमति मिली, जहां पहले मस्जिद हुआ करती थी। हिंदुओं ने इसकी योजना 1992 के बाद तैयार कर ली थी, जब बाबरी मस्जिद गिराई गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी भाजपा हिंदू राष्ट्रवाद और अयोध्या में मंदिर बनाने की लहर में ही सत्ता में आए। यह उनके प्लेटफॉर्म का प्रमुख मुद्दा था।”
जर्मनी : डायचे वेले
जर्मनी की साइट डायचे वेले ने लिखा- "भारत में अयोध्या मंदिर-मस्जिद विवाद को लेकर कोर्ट ने हिंदुओं के पक्ष में फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुओं और मुसलमानों द्वारा सदियों से विवादित स्थल पर मंदिर बनाए जाने का रास्ता साफ कर दिया है। 1992 में हिंदूओं द्वारा इस स्थल पर एक मस्जिद को तोड़ दिया गया था और घातक दंगों में 2,000 लोग मारे गए थे।"
बीबीसी-
यूके की साइट बीबीसी ने लिखा- "सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या की पवित्र भूमि को हिंदुओं को दे दिया। सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या के विवादित पवित्र स्थल को उन हिंदुओं को दिए जाने का फैसला सुनाया जो मंदिर निर्माण चाहते हैं। उत्तर प्रदेश राज्य में भूमि के स्वामित्व पर हिंदुओं और मुसलमानों द्वारा दशकों से चलती आ रहा विवाद खत्म हुआ।"
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार विवादित स्थल पर मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाए और तीन महीने में अपनी योजना सौंपे। वैश्विक स्तर पर भी विदेशी मीडिया ने अयोध्या मुद्दे की कवरेज की है।