सार

ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव के बीच, दुनिया भर के देशों का रुख़ स्पष्ट हो रहा है। अमेरिका और नाटो देशों का समर्थन इजरायल के साथ है, वहीं ईरान को क्षेत्रीय ताकतों का साथ मिल रहा है। भारत जैसे देशों के लिए तटस्थ रहना एक चुनौती होगा।

वर्ल्ड डेस्क। मध्य पूर्व के दो ताकतवर देश ईरान और इजरायल जंग (Iran Israel conflict) के मुहाने पर हैं। ईरान के मिसाइल अटैक के बाद इजरायल ने बदला लेने की बात कही है। अगर इसने ईरान पर बड़ा हमला किया तो यह खुली लड़ाई में बदल सकता है। मध्य पूर्व और दुनिया के बड़े देश ईरान या इजरायल का साथ देंगे यह लगभग साफ है। अमेरिका और नाटो के देश जहां पूरी तरह इजरायल के समर्थन में हैं तो ईरान को भी क्षेत्र के कई ताकतों का साथ मिला हुआ है। भारत समेत बहुत से देशों की कोशिश न्यूट्रल रहने की होगी। आइए ऐसे 12 खास देशों के रुख के बारे में जानते हैं।

1- अमेरिका

अमेरिका पूरी तरह इजरायल के साथ है। मध्य पूर्व में इसकी भारी सैन्य मौजूदगी है। यूएस नेवी के एयरक्राफ्ट कैरियर यहां हैं। अमेरिका हर कीमत पर इजरायल की रक्षा करेगा। मध्य पूर्व में अमेरिका ने इतने अधिक हथियार तैनात कर रहे हैं जितने इलाके से सभी देशों के पास नहीं हैं। इसके साथ ही अमेरिका इजरायल को बम से लेकर मिसाइल तक, हर तरह के हथियार और पैसे देकर मदद कर रहा है।

2- सऊदी अरब

सऊदी अरब और ईरान की पुरानी दुश्मनी है। इसके साथ ही उसके अमेरिका के साथ गहरे संबंध हैं। इन वजहों से सऊदी अरब और इजरायल के बीच मजबूत सुरक्षा संबंध हैं। हालांकि मुसलमान देश होने के नाते उसके समर्थन की सीमाएं हैं। सऊदी अरब ने लेबनान पर इजरायली आक्रामकता की निंदा की है और तत्काल युद्ध विराम का आह्वान किया है।

3- कतर

कतर आकार में छोटा, लेकिन मध्य पूर्व का बेहद महत्वपूर्ण देश है। यह इजरायल और हमास के बीच संघर्ष में मध्यस्थता करने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। कतर की पहल पर पिछले साल नवंबर में हमास और इजरायल के बीच इजरायली बंधकों की रिहाई को लेकर बात हुई थी। कतर ने मारे गए हमास नेता इस्माइल हनीयाह को शरण दी थी। ईरान के साथ उसके अच्छे संबंध हैं। यह इजरायल को पसंद नहीं है। इस क्षेत्र में सबसे बड़ी अमेरिकी सैन्य सुविधा भी कतर में है। खुलकर किसी एक का समर्थन उसके लिए बहुत कठिन है।

4- जॉर्डन

जॉर्डन अमेरिका का प्रमुख सहयोगी है। इस साल जनवरी में ईरान समर्थित मिलिशिया ने जॉर्डन में अमेरिकी सेना के अड्डे पर हमला किया था। ईरान और इजरायल में से किसी एक को चुनने के मामले में जॉर्डन सऊदी अरब की तरह कठिन राजनीतिक रस्सी पर चल रहा है। जॉर्डन ने गाजा को सहायता भेजी है, लेकिन इसने इजरायल के साथ राजनयिक संबंध भी बनाए रखे हैं। अप्रैल में जॉर्डन ईरान से इजरायल की ओर दागी गई मिसाइलों को मार गिराने में सबसे आगे था।

5- मिस्र

1979 में ऐतिहासिक शांति संधि पर साइन किए जाने के बाद से इन दिनों मिस्र और उसके पड़ोसी देश इजरायल के बीच संबंध सबसे खराब स्थिति में हैं। 6 मई को गाजा और मिस्र के बीच महत्वपूर्ण राफा सीमा क्रॉसिंग पर इजरायली सैनिकों द्वारा कंट्रोल किए जाने के बाद से इजरायल के साथ उसके संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। इसने किसी भी पक्ष का स्पष्ट रूप से समर्थन नहीं किया है।

6- सीरिया

सीरिया ईरान समर्थित आतंकवादी समूहों का घर है। यहां से ईरान को पूरा समर्थन है। ईरान के इशारे पर आतंकियों ने सीरिया में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमले किए हैं।

7-इराक

इराक से भी ईरान को समर्थन मिला हुआ है। यहां कई ईरान समर्थित आतंकवादी समूहों का प्रभाव है। इन समूहों ने धमकी दी है कि अगर अमेरिका ने लड़ाई में इजरायल का साथ दिया तो उसके ठिकानों पर अटैक किए जाएंगे। इराक ने इजरायल को ईरान के खिलाफ हमला करने के लिए अपने हवाई क्षेत्र का उपयोग नहीं करने को लेकर चेताया है।

8- तुर्की

तुर्की के कभी इजरायल के साथ मधुर संबंध थे। राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के कार्यकाल में यह देश इजरायल का आलोचक रहा है। गाजा युद्ध की शुरुआत के बाद से तुर्की ने हमास के साथ मधुर संबंध बनाए हैं। कई घायल फिलिस्तीनियों को इलाज के लिए हवाई मार्ग से ले जाया है। यह देश ईरान का साथ दे सकता है।

9- रूस

रूस मध्य पूर्व का देश नहीं, लेकिन इलाके में उसका प्रभाव है। ईरान और रूस के बीच गहरा सैन्य सहयोग है। यूक्रेन के साथ जंग लड़ रहा रूस ईरान को समर्थन दे सकता है।

10- लेबनान

लेबनान में ईरान समर्थित हिज्बुल्लाह ताकत में है। इजरायल के साथ इसकी लड़ाई चल रही है।

11- यमन

यमन में ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों का कब्जा है। यहां से ईरान को पूरा समर्थन मिल रहा है।

12- भारत

इजरायल-भारत के गहरे संबंध हैं। सैन्य साझेदारी भी बहुत है। दूसरी ओर ईरान के साथ भी हमारे रिश्ते काफी अच्छे हैं। भारत तेल आयात के लिए मध्य पूर्व पर निर्भर है। इसलिए किसी एक देश का पक्ष लेना मुश्किल है। इसकी जगह भारत न्यूट्रल रहकर शांति के पक्षधर देश के रूप में बड़ी भूमिका निभा सकता है।