सार
पीएम मोदी की जापान यात्रा के बाद टोक्यो ने रक्षा क्षेत्र में सहयोग के लिए बड़ा कदम उठाया है। क्वाड समिट में भाग लेने गए नरेंद्र मोदी ने समिट के बाद वहां के बिजनेस टाइकून्स व अन्य राजनयिकों से मुलाकात की थी।
नई दिल्ली। जापान ने भारत के साथ रक्षा क्षेत्र में सहयोग के लिए विभिन्न परियोजनाओं को हरी झंडी दे दी है। जापान ने भारत और 11 अन्य देशों को मिसाइल और जेट सहित घातक सैन्य उपकरणों के निर्यात की अनुमति देने की योजना बनाई है। जापान के इस कदम से नई दिल्ली और टोक्यो के बीच रक्षा निर्माण में सहयोग के प्रयासों को गति मिलेगी।
निक्केई की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत, ऑस्ट्रेलिया और कुछ यूरोपीय और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों को निर्यात की अनुमति देने के लिए अगले साल मार्च तक नियमों में ढील दी जाएगी। जापान ने रक्षा उपकरणों के हस्तांतरण के लिए एक सिद्धांत स्थापित किया है। इसने उन नियमों में ढील दी जिसके तहत 2014 में निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया था। हालांकि, अभी भी घातक हथियारों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ है।
दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने की थी बात
जापान का यह निर्णय दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की बीते दिनों क्वाड समिट के बाद मुलाकात के बाद आया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष फुमियो किशिदा ने टोक्यो में क्वाड लीडर्स समिट के बाद एक मीटिंग में रक्षा निर्माण सहित द्विपक्षीय सुरक्षा और रक्षा सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई थी।
दोनों देशों ने सैन्य सहयोग के लिए जताई है सहमति
भारत उन कुछ देशों में शामिल है जिनके साथ जापान ने अपने रक्षा बलों के बीच आपूर्ति और सेवाओं के पारस्परिक प्रावधान के लिए एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं ताकि निकट सैन्य सहयोग को बढ़ावा दिया जा सके और इंडो-पैसिफिक में सुरक्षा में योगदान दिया जा सके। जापान के आत्मरक्षा बलों और भारत की सेना के बीच अधिग्रहण और क्रॉस-सर्विसिंग समझौते (ACSA) पर सितंबर 2020 में हस्ताक्षर किए गए थे।
निक्केई की रिपोर्ट में कहा गया है कि जापानी सरकार का लक्ष्य टोक्यो के साथ व्यक्तिगत सुरक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर करने वाले देशों के साथ सहयोग करके चीन के खिलाफ प्रतिरोध को बढ़ाना है। इन देशों में वियतनाम, थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस और इटली शामिल हैं।
क्या है जापान का 2014 का सिद्धांत?
2014 के सिद्धांत के अनुसार, जापान के साथ संयुक्त रूप से हथियार विकसित नहीं करने वाले देशों को रक्षा निर्यात बचाव, परिवहन, चेतावनी, निगरानी और माइनस्वीपिंग मिशन के लिए उपकरणों तक सीमित है। रक्षा निर्यात पर नए नियम आर्थिक व वित्तीय प्रबंधन और सुधार पर जापान सरकार की नीति का हिस्सा होंगे। नए नियमों को जून में अंतिम रूप दिया जाएगा। इस साल के अंत तक जापान की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति तैयार होने के बाद रक्षा निर्यात के सिद्धांत को संशोधित किया जाएगा।
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