सार
भारत के पड़ोसी देश म्यांमार में हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। जबसे यहां तख्तापलट हुआ है, तबसे ही विरोध प्रदर्शन जारी है। इस बीच शनिवार यानी 27 मार्च को हालात काफी ज्यादा बिगड़ गए, जिसमें 114 लोगों की मौत हो गई।
वर्ल्ड डेस्क: म्यांमार में हुए तख्तापलट के बाद से लगातार हिंसा हो रही है। ये हिंसा लोगों के सैन्य तख्तापलट के विरोध प्रदर्शन में हो रही है। आए दिन इन प्रदर्शनों में लोगों की मौत की खबर सामने आ रही है। इस बीच 27 मार्च को जब म्यांमार की सेना आर्म्ड फ़ोर्स डे मना रही थी, तब भड़की हिंसा में करीब 114 लोग मारे गए। ये अब तक के प्रदर्शन में हुई मौतों का सार्वधिक आंकड़ा है।
खून से लाल हुई आर्म्ड फोर्स डे की परेड
म्यांमार में 27 मार्च को आर्म्ड फोर्स डे मनाया जाता है। सैन्य तख्तापलट कर देश में दुबारा से रूल कर रही सेना ने आर्म्ड फोर्स डे पर परेड निकाली। देश के जनरल मिन आंग ह्लाइंग ने सेना की सलामी ली। सेना ने लोगों की रक्षा का वादा किया। लेकिन सेना के रूल का इतिहास देखने के बाद किसी को भी सेना पर विश्वास नहीं है। इस वजह से लोग सेना का विरोध कर रहे हैं। सेना ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि परेड के दौरान प्रदर्शनकारी किसी तरह की गतिविधि ना करें। लेकिन इसके बावजूद प्रदर्शन किया गया, जिसके खिलाफ एक्शन लेते हुए सेना ने 114 लोगों को मौत के घाट उतार दिया।
फरवरी से मार्च तक मौत का तांडव
म्यांमार में फरवरी के महीने में ही अचानक तख्तापलट कर दिया गया। देश के सभी नेताओं को बंदी बनाकर सेना का राज्य स्थापित किया गया। नोबल पुरस्कार विजेता स्टेट काउंसलर आंग सान सू की को भी अरेस्ट कर लिया गया। बता दें कि स्टेट काउंसलर आंग सान सू की ने ही कई सालों तक प्रदर्शन कर देश में लोकतंत्र स्थापित करने में मदद की थी। इस तख्तापलट के बाद से देश में चल रहे प्रदर्शन में अभी तक कई लोगों की मौत हो चुकी है लेकिन 27 मार्च को एक दिन में सर्वाधिक मौत दर्ज की गई।
बच्चों को भी नहीं छोड़ रही सेना
देश में चल रहे प्रदर्शन में सेना आम लोगों को मारने से बिलकुल नहीं हिचक रही। प्रदर्शनकारी को ढूंढ-ढूंढ कर मारा जा रहा है। सेना बच्चों को भी नहीं छोड़ रही। पिछले दिनों ही सेना ने एक पिता की गोद में 7 साल की बच्ची को गोली मार दी थी। ये अब तक की हुई मौतों में सबसे कम उम्र की बच्ची है। लोगों के अंदर सेना को लेकर काफी आक्रोश है।