सार

नवाज शरीफ (Nawaz Sharif) चार साल बाद पाकिस्तान लौट गए हैं। सेना के साथ उनके संबंध में सुधार हुआ है, जिससे उनके देश लौटने का रास्ता साफ हुआ है।

 

इस्लामाबाद। पाकिस्तान के तीन बार के पीएम नवाज शरीफ (Nawaz Sharif) चार साल बाद अपने देश लौटे हैं। कभी वह पाकिस्तानी सेना के कट्टर दुश्मन थे। इन दिनों सेना से उनकी दोस्ती है, जिसके चलते उनके देश लौटने का रास्ता खुला है।

नवाज शरीफ पाकिस्तान से निकाले जाने के बाद लंदन में रह रहे थे। पिछले कई दिनों से वह दुबई में थे। चार्टर्ड फ्लाइट में सवार होकर वह शनिवार को इस्लामाबाद पहुंचे। वह लाहौर जाएंगे जहां उनकी पार्टी के कार्यकर्ता उनका स्वागत करेंगे।

नवाज शरीफ की वापसी से पीएमएलएन को मिलेगा लाभ

पाकिस्तान में आम चुनाव होने वाले हैं। नवाज शरीफ को उम्मीद है कि उनकी वापसी से उनकी पार्टी पीएमएल-एन (पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज) को लाभ मिलेगा। पाकिस्तान काफी समय से राजनीतिक और आर्थिक संकट से जूझ रहा है। जनवरी 2024 में वहां चुनाव होने वाले हैं। नवाज शरीफ के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी इमरान खान जेल में बंद हैं। शरीफ की पीएमएल-एन पार्टी के सीनियर नेता ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने कहा, "यह आशा और जश्न का समय है। उनकी वापसी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और उसके लोगों के लिए अच्छा संकेत है।"

भ्रष्टाचार के आरोप में शरीफ को ठहराया गया था दोषी

दरअसल, कई महीनों से शरीफ के पाकिस्तान लौटने के कयास लगाए जा रहे थे। उन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में दोषी ठहराया गया है। उनकी जेल की सजा अधूरी है। इमरान खान की सरकार के दौरान बीमारी के चलते नवाज को लंदन जाने की अनुमति मिली थी। वह लंदन गए थे, लेकिन लौटकर नहीं आए थे। इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने शरीफ को मंगलवार तक के लिए सुरक्षात्मक जमानत दे दी थी। इससे देश में वापस आने पर उनकी तत्काल गिरफ्तारी का खतरा खत्म हो गया था।

शरीफ तीन बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे हैं। भ्रष्टाचार का दोषी पाए जाने के बाद 2017 में उन्हें सत्ता से हटा दिया गया था और राजनीति से आजीवन अयोग्य घोषित कर दिया गया था। इमरान खान की सत्ता जाने के बाद नवाज शरीफ के भाई शहबाज शरीफ पीएम बने थे। इमरान को सत्ता में लाने के बाद पाकिस्तान की सेना को जिस तरह फजीहत का सामना करना पड़ा उससे सेना ने सबक लिया। सेना और शरीफ के रिश्ते सुधरे हैं। इसके चलते नवाज शरीफ की पाकिस्तान वापसी हो पाई है।

उनकी किस्मत तब बदल गई जब उनके भाई शहबाज शरीफ पिछले साल सत्ता में आए और उनकी सरकार ने कानून में बदलाव किए, जिसमें सांसदों के चुनाव लड़ने की अयोग्यता को पांच साल तक सीमित करना भी शामिल था।