North Korea Warship Fail: किम जोंग उन (Kim Jong Un) की मौजूदगी में 5000 टन का नया वॉरशिप (Destroyer) लॉन्चिंग के वक्त पानी में पलट गया। सैटेलाइट तस्वीरों में जहाज उलटा दिखाई दिया। किम ने इस विफलता को "अक्षम्य अपराध" बताया।
Kim Jong Un warship toppled: नॉर्थ कोरिया (North Korea) के तानाशाह किम जोंग उन (Kim Jong Un) की निगरानी में लॉन्च होने जा रहा देश का नया 5000 टन वजनी वॉरशिप (Warship) अचानक पानी में पलट गया। इस बड़े हादसे के दौरान स्वयं किम मौके पर मौजूद थे और अपनी आंखों के सामने युद्धपोत को गिरते देख भड़क उठे।
'क्रिमिनल एक्ट' बताकर भड़के किम जोंग उन
सरकारी मीडिया एजेंसी KCNA ने रिपोर्ट किया कि किम ने इस विफलता को एक ऐसा गंभीर हादसा बताया जो न तो होना चाहिए था, न ही बर्दाश्त किया जा सकता है। यह एक शुद्ध लापरवाही, गैर-जिम्मेदाराना और अवैज्ञानिक रवैये का नतीजा है जिसे आपराधिक कृत्य (Criminal Act) माना जाना चाहिए।
सैटेलाइट इमेज में सामने आया पूरा सच
CBS News और अन्य सैटेलाइट इमेजरी से पता चला कि यह 5,000 टन क्लास डेस्ट्रॉयर (Destroyer) अपने लॉन्चिंग के दौरान असंतुलित हो गया और पानी में एक तरफ झुकते हुए उसके नीचे के हिस्से में बड़ा डैमेज हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, ट्रांसपोर्ट क्रैडल (Transport Cradle) पहले पिछले हिस्से से खिसक गया और अटकने के बाद पूरे जहाज को पलटा दिया।
ब्लू कवर से छुपाई गई तबाही
अब यह जहाज पानी में एक ओर झुका हुआ पड़ा है और ऊपर से उसे नीले कवर (Blue Covers) से ढंका गया है ताकि पूरी क्षति दुनिया की नजरों से छुपाई जा सके।
किम जोंग उन ने अप्रैल के अंत में देश के पहले नेवी डेस्ट्रॉयर के लिए नम्पो (Nampo) में एक भव्य समारोह में हिस्सा लिया था जिसका वीडियो भी जारी किया गया था। लेकिन इस महीने चोंगजिन (Chongjin) में हुए दूसरे वॉरशिप के लॉन्च के दौरान की कोई फुटेज सामने नहीं आई, जाहिर है, इसके पीछे की शर्मिंदगी को छुपाने की मंशा है।
रूस की मदद से बना था जहाज?
दक्षिण कोरियाई खुफिया अधिकारियों का मानना है कि यह वॉरशिप रूस (Russia) की तकनीकी मदद से बनाया गया था। अब यह सवाल खड़ा हो गया है कि इस सैन्य सहयोग के बावजूद इतनी बड़ी तकनीकी चूक कैसे हो गई।
जिम्मेदारों पर हो सकती है मौत की सज़ा
किम जोंग उन ने कहा है कि इस अक्षम्य दुर्घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को सख्ती से निपटा जाएगा। जानकारों का मानना है कि नॉर्थ कोरिया की रीति-नीति के अनुसार इसमें शामिल अधिकारियों और वैज्ञानिकों को मौत की सजा (Death Penalty) भी दी जा सकती है।
