सार
चीन की विस्तारवादी नीति नेपाल में अनियंत्रित होती जा रही है। नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली की चुप्पी के कारण चीन उनके देश पर धीरे-धीरे अतिक्रमण कर रहा है। इसी को लेकर भारत की खुफिया एजेंसियों ने शनिवार को भारत को अलर्ट कर दिया है।
नई दिल्ली. चीन की विस्तारवादी नीति नेपाल में अनियंत्रित होती जा रही है। नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली की चुप्पी के कारण चीन उनके देश पर धीरे-धीरे अतिक्रमण कर रहा है। इसी को लेकर भारत की खुफिया एजेंसियों ने शनिवार को भारत को अलर्ट कर दिया है। एजेंसी ने बताया कि चीन ने नेपाल के करीब सात सीमावर्ती जिलों में कई स्थानों पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है।
चुप्पी साधे बैठी है नेपाली सरकार
भारतीय खुफिया एजेंसी ने एक रिपोर्ट के हवाले से कहा कि बीजिंग, चीन में तेजी से आगे बढ़ रहा है और ज्यादा से ज्यादा भूमि का अतिक्रमण कर नेपाली सीमाओं को आगे बढ़ा रहा है। माना जा रहा है कि वास्तविकता ज्यादा बदतर हो सकती है क्योंकि नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (NCP) चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के विस्तारवादी एजेंडे पर चुप्पी साधे बैठी है।
नेपाल के किन जिलों में चीन ने किया अवैध कब्जा?
चीन ने नेपाल के दोलखा, गोरखा, दार्चुला, हुमला, सिधुपालचौक, संखुआसभा और रसूवा जिलों को उसकी विस्तारवादी नीति के तहत शिकार बनाया है। नेपाल के सर्वेक्षण और मानचित्रण विभाग के मुताबिक, चीन दोलखा स्थित अंतर्राष्ट्रीय सीमा का 1.5 किमी मीटर हिस्सा हड़प चुका है। इसके साथ ही उसने कोरलांग क्षेत्र के पिलर संख्या 57 पर भी अतिक्रमण कर लिया है।
दरअसल, यही वो इलाका है जिसकी सीमा को लेकर दोनों देशों के बीच पहले से तनाव चल रहा है और चीनी सरकार नेपाल पर इस सीमा विवाद को अपने हित में सुलझाने को लेकर पहले से दबाव बना रही थी।
पिलरों की जगह बदलकर नेपाल के गांवों पर किया कब्जा
नेपाल के विभाग ने बताया कि चीन ने गोरखा और दार्चुला जिलों में नेपाली गांवों पर कब्जा कर लिया है। चीन ने गोरखा जिले की सीमा पर पिलर नंबर 35, 37, और 38 को एक जगह से हटाकर दूसरी जगह कर दिया है। वहीं नांपा भांज्यांग में पिलर 62 पर भी जमीन हड़प ली है। पहले 3 पिलर गोरखा के रुई गांव और टोम नदी के करीब थे।
2005 से बरकरार है दोनों देशों में विवाद
दरअसल, नेपाल सरकार साल 2005 से ही चीन के साथ सीमा विवाद में उलझी हुई है। विवाद के चलते नेपाल ने साल 2012 में दोनों देशों के बीच हुई सीमा संबंधी वार्ता को भी रद्द कर दिया था। हालांकि पिछले कुछ सालों से NCP,चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के हाथों की कठपुतली बन गई है। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने जानकारी दी कि नेपाल के पहाड़ी इलाकों और नदियों तक चीन की पहुंच हो चुकी है।