सार
कोरोना वायरस का कहर दुनियाभर में जारी है। इसी बीच कोरोना को लेकर हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं। अब बताया जा रहा है कि कोरोना वायरस एयरबोर्न यानी हवा के जरिए भी फैलता है। यह बात दुनियाभर के सैकड़ों वैज्ञानिक ने अपनी रिसर्च के बात सबके सामने रखी।
वॉशिंगटन. कोरोना वायरस का कहर दुनियाभर में जारी है। इसी बीच कोरोना को लेकर हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं। अब बताया जा रहा है कि कोरोना वायरस एयरबोर्न यानी हवा के जरिए भी फैलता है। यह बात दुनियाभर के सैकड़ों वैज्ञानिक ने अपनी रिसर्च के बात सबके सामने रखी। 32 देशों के 239 वैज्ञानिकों ने पाया कि कोरोना वायरस के छोटे छोटे कण हवा में जिंदा रहते हैं और लोगों को संक्रमित करते हैं।
इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा था कि वायरस का संक्रमण हवा से नहीं फैलता। WHO का कहना था कि यह वायरस थूक के कणों से ही फैलता है। ये कण कफ, छींक और बोलते वक्त ही शरीर से बाहर निकल दूसरे व्यक्ति में दाखिल होते हैं। थूक के कण इतने हल्के नहीं होते कि वे हवा में फैल जाएं। इसलिए ये जमीन में ही गिर जाते हैं।
'सुधार करे WHO'
न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि वायरस का संक्रमण हवा के जरिए भी फैल रहा है। इतना ही नहीं WHO से वैज्ञानिकों ने अपील की है कि वायरस की रिकमंडेशन्स में संसोधन किया जाए।
दुनिया भर में कोरोना से 5.3 लाख मौतें, केस के मामले में भारत तीसरे स्थान पर पहुंचा
दुनियाभर में कोरोना वायरस के 1.15 करोड़ मामले सामने आ चुके हैं। अब तक 5.36 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में भी कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। भारत रूस को पीछे छोड़कर तीसरा सबसे संक्रमित देश बन गया है। भारत में कोरोना संक्रमण के मामले 7 लाख तक पहुंच गए हैं। वहीं, 19,286 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
बढ़ सकती है मुसीबतें
दुनियाभर में कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं। ऐसे में अगर वायरस को लेकर एयरबोर्न होने का दावा सही निकलता है, तो चिंताएं और बढ़ सकती हैं। 32 देशों के इन 239 वैज्ञानिकों ने WHO को पत्र लिखा है। वैज्ञानिकों ने कहा, उनके पास पर्याप्त सबूत हैं कि वायरस के छोटे-छोटे कण हवा में तैरते हैं। ये कण लोगों को संक्रमित करते हैं।
नहीं मिले ठोस सबूत-WHO
समाचार एजेंसी रॉयटर ने इस दावे पर WHO की प्रतिक्रिया मांगी थी। लेकिन अभी संगठन की ओर से कुछ नहीं कहा गया। हालांकि, न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, WHO ने कहा, इस वायरस के हवा में रहने के जो सबूत दिए गए हैं, उनसे इस नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता कि ये वायरस एयरबोर्न है।