सार
पाकिस्तान में एक बार फिर तख्तापलट की तैयारी हो रही है। प्रधानमंत्री इमरान खान को सत्ता से हटाने के लिए विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है। विपक्ष का दावा है कि उसके पास 200 सांसदों का समर्थन है।
इस्लामाबाद। पाकिस्तान में एक बार फिर तख्तापलट की तैयारी हो रही है। प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) को सत्ता से हटाने के लिए विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है। विपक्ष का दावा है कि उसके पास 200 सांसदों का समर्थन है। यह संख्या बल इमरान को कुर्सी से हटाने के लिए पर्याप्त है।
विपक्षी दल जल्द ही पाकिस्तानी संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले हैं। इसे पास कराने के लिए उन्हें 342 में से 172 वोटों की जरूरत होगी। विपक्षी दल अपने साथ जरूरत से अधिक सांसदों को जोड़ रहे हैं ताकि इमरान को सत्ता से हटाने की उनकी मुहीम निश्चित रूप से सफल हो। हालांकि यह सच्चाई भी किसी से छिपी नहीं है कि पाकिस्तान की राजनीति में सिर्फ संख्या बल से किसी को न तो पीएम की कुर्सी पर बैठाया जाता है और न उतारा जाता है।
विपक्ष ने किया सेना से न्यूट्रल रहने का आग्रह
पाकिस्तान में संख्या बल के साथ यह भी काफी मायने रखता है कि सेना का समर्थन किसे प्राप्त है। सेना की तरफ से गए फोन कॉल से रातों-रात सांसदों के फैसले बदल जाते हैं। इमरान सरकार को सत्ता से हटाने की मुहीम में बाधा नहीं पहुंचाई जाए इसके लिए विपक्ष ने सेना से न्यूट्रल रहने का आग्रह किया है।
इमरान खान को सत्ता से हटाने के अभियान में सभी विपक्षी दल एक साथ आ गए हैं। चुनाव करीब देख इमरान की पार्टी पीटीआई के सांसदों के भी विपक्षी खेमे में आने की संभावना जताई जा रही है। इमरान सरकार की विफलताओं के चलते पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति खस्ताहाल है। महंगाई बहुत अधिक बढ़ गई है। इसके चलते ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि सेना भी इमरान सरकार को बचाने के लिए आगे नहीं आए। इसके चलते विपक्षी पार्टियां का हौसला बुलंद है।
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बिलावल का दावा- हमारे साथ हैं 200 सांसद
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी से सह-अध्यक्ष बिलावल भुट्टो ने दावा किया है कि हमारे साथ 200 सांसद हैं। मार्च का पहला या दूसरा सप्ताह पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। बता दें कि पाकिस्तान की राजनीति पर करीब से नजर रखने वाले विशेषज्ञ मानते हैं कि हवा का रुख इमरान सरकार के खिलाफ है। उनकी अपनी पार्टी पीटीआई के बहुत से ऐसे सांसद हैं जो टिकट पाने के आश्वासन पर विपक्षी दलों का साथ दे सकते हैं। दूसरी ओर इमरान खान अपनी सत्ता बचाने के लिए सेना की ओर देख रहे हैं। वहीं, ऐसी खबर भी आ रही है कि सरकार बचाने की संभावना नहीं हुई तो इमरान सदन को भंग करने का फैसला भी कर सकते हैं।
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