सार
अनुच्छेद 370 का रोना रोने वाला पाकिस्तान अब भारतीय संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक पर अपनी आपत्ति दर्ज की है। इस विधेयक को उसने भेदभावपूर्ण कानून करार दिया है। पाकिस्तान ने कहा कि यह दोनों पड़ोसियों के बीच विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों का भी पूर्ण उल्लंघन है।
इस्लामाबाद. भारत सरकार द्वारा लिए जा रहे फैसलों पर पाकिस्तान का अपना रोना चालू है। इन सब के बीच एक बार फिर पाकिस्तान की ना-पाक हरकत सामने आई है। अनुच्छेद 370 का रोना रोने वाला पाकिस्तान अब भारतीय संसद में नागरिकता संशोधन विधेयक पर अपनी आपत्ति दर्ज की है। इस विधेयक को उसने भेदभावपूर्ण कानून करार दिया है। पाकिस्तान ने कहा कि यह दोनों पड़ोसियों के बीच विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों का भी पूर्ण उल्लंघन है। खासकर संबंधिकत देशों में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और अधिकारों से जुड़ा मामला है।
धर्म और विश्वास पर आधारित है कानून
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने अपने एक बयान में कहा है कि भारत का यह नवीनतम कानून धर्म और विश्वास पर आधारित है। यह कानून अंतरराष्ट्रीय कानून एवं मानवाधिकारों का सरासर उल्लंघन है। पाकिस्तान ने कहा कि इस कानून ने एक बार फिर भारतीय धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के दावों के खोखलेपन को उजागर किया है। इस बयान में आगे कहा गया है पाकिस्तान भेदभावपूर्ण कानून विरोध करता है। यह अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन करता है। यह भारत का पड़ोसियों के साथ भय उत्पन्न करने वाला प्रयास है। इस विधेयक में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रयास किया गया है। इस विधेयक के तहत, भारतीय नागरिक को हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के सदस्यों को प्रदान किया जाएगा, जो 31 दिसंबर, 2014 तक भारत में तीन देशों को अवैध प्रवासियों के रूप में माना जा रहा है।
यह है नागरिकता संशोधन बिल
नागरिकता संशोधन बिल अगर कानून का रूप लेता है तो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण वहां से भागकर आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों को सीएबी के तहत भारत की नागरिकता दी जाएगी।
इस बिल के मुताबिक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लोदश से आने वाले मुसलमानों को भारत की नागरिकता नहीं दी जाएगी।