सार
पाकिस्तान ने 19 दिसंबर को होने जा रहे OIC शिखर सम्मेलन(OIC summit) के लिए तालिबान को निमंत्रण भेजा है। 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर हथियारों के बूते कब्जा जमाने वाले तालिबान पर यूनाइटेड नेशन(UN) ने कई तरह के प्रतिबंध लगा रखे हैं। तालिबान को अफगानिस्तान में सरकार बनाए हुए 100 दिन से अधिक समय हो गया है, लेकिन उसे कई देशों ने मान्यता नहीं दी है।
नई दिल्ली. अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार बनवाने में मदद करने वाला पाकिस्तान तमाम देशों के बीच अपनी साख खो चुका है, बावजूद वो लगातार तालिबान के समर्थन में आगे आता रहता है। पाकिस्तान ने 19 दिसंबर को होने जा रहे OIC शिखर सम्मेलन(OIC summit) के लिए तालिबान को निमंत्रण भेजा है। 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर हथियारों के बूते कब्जा जमाने वाले तालिबान पर यूनाइटेड नेशन(UN) ने कई तरह के प्रतिबंध लगा रखे हैं। तालिबान को अफगानिस्तान में सरकार बनाए हुए 100 दिन से अधिक समय हो गया है, लेकिन उसे कई देशों ने मान्यता नहीं दी है।
मान्यता के लिए परेशान है तालिबान
पाकिस्तान ने 13 दिसंबर को इस्लामिक अमीरात यानी तालिबानी सरकार को इस्लामिक देशों के संगठन के इस शिखर सम्मेलन में शामिल होने निमंत्रण भेजा। टोलो न्यूज(Tolo News) के अनुसार, विदेश मंत्रालय के सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक स्टडीज के प्रमुख वलीउल्लाह शाहीन(Waliullah Shaheen) ने कहा कि अफगानिस्तान की इकोनॉमी, बैंकिंग सिस्टम और दुनिया में अफगानिस्तान के रिलेशन को सामान्य बनान मीटिंग का मुख्य एजेंडा है। शाहीन ने कहा कि वे अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय के तौर पर मीटिंग में शामिल होंगे। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार मीटिंग में OIC के सदस्यों के अलावा अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, विश्व बैंक और मानवीय संगठनों के प्रतिनिधिमंडलों को भी आमंत्रित किया गया है।
अफगानिस्तान ने ये बात भी कही
अफगानिस्तान के राष्ट्रीय एकजुटता आंदोलन के प्रमुख सैयद इशाक गिलानी ने कहा, "कई इस्लामी देशों के अफगानिस्तान के साथ अच्छे संबंध नहीं हैं। मुझे उम्मीद है कि ये देश अपने संबंधों का पुनर्निर्माण करेंगे और साथ में अफगानिस्तान को मान्यता देने का फैसला करेंगे।"
बता दें कि अफगानिस्तान में सरकार बनाए हुए तालिबान को 100 दिन से अधिक समय हो गया है, लेकिन दुनिया के किसी भी देश ने अभी तक इसे मान्यता नहीं दी है। दुनियाभर के देशों ने अफगानिस्तान में महिलाओं और मानवाधिकारों का सम्मान, सबके सहयोग से सरकार की स्थापना, अफगानिस्तान को आतंकवाद का सुरक्षित ठिकाना नहीं बनने देना जैसी शर्तें रखी हैं। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा निर्धारित मान्यता के लिए पूर्व शर्त हैं। तालिबान ने अब तक इनमें से किसी को भी लागू नहीं किया है, लेकिन ऐसा करने का वादा करता रहा है।
क्या है OIC
यह एक इस्लामी सहयोग संगठन ( Organisation of Islamic Cooperation-OIC) है। इसका मकसद इस्लामी देशों के बीच सहयोग करना है। इसके सदस्य हैं- अफगानिस्तान, अल्बानिया, अल्जीरिया, अज़रबैजान, बहरीन, बांग्लादेश, बेनिन, ब्रूनेई, दार-ए- सलाम, बुर्किना फासो, कैमरून, चाड, कोमोरोस, आईवरी कोस्ट, जिबूती, मिस्र, गैबॉन, गाम्बिया, गिनी, गिनी-बिसाऊ, गुयाना, इंडोनेशिया, ईरान, इराक, जार्डन, कजाखस्तान, कुवैत, किरगिज़स्तान, लेबनान, लीबिया, मलेशिया, मालदीव, माली, मॉरिटानिया, मोरक्को, मोजाम्बिक, नाइजर, नाइजीरिया, ओमान, पाकिस्तान, फिलिस्तीन, कतर, सऊदी अरब, सेनेगल, सियरा लिओन, सोमालिया, सूडान, सूरीनाम, सीरिया, ताजिकिस्तान, टोगो, ट्यूनीशिया, तुर्की, तुर्कमेनिस्तान, युगांडा, संयुक्त अरब अमीरात, उज्बेकिस्तान, यमन।
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