सार

पाकिस्तान के कराची से ताल्लुक रखने वाली आयशा पहली बार 2019 में भारत आईं थी, जब उसे हार्ट अटैक आया था। उसकी वजह से दिल ठीक तरीके से काम नहीं कर रहा था।

पाकिस्तानी न्यूज।सरहद पार पाकिस्तान में रहने वाली 19 साल की लड़की को भारत में एक नया जीवनदान मिला है। हाल ही में आयशा रशन नाम की लड़की का हार्ट को सफल ऑपरेशन चेन्नई के MGM हेल्थकेयर में हुआ। बीते 5 सालों से दिल की बीमारी से जूझ रही है आयशा को भारत के डॉक्टरों ने नया जीवन देने का काम किया है। चेन्नई के डॉक्टरों ने दिल्ली के एक अस्पताल से लाए गए 69 वर्षीय ब्रेन-डेड मरीज का दिल लगाया है। TOI की रिपोर्ट के मुताबिक आयशा ने बताया कि मैं अब आराम से सांस ले सकती हूं। मैं कराची में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने की योजना बना रही हूं। मैं एक फैशन डिजाइनर बनना चाहती हूं।"

पाकिस्तान के कराची से ताल्लुक रखने वाली आयशा पहली बार 2019 में भारत आईं थी, जब उसे हार्ट अटैक आया था। उसकी वजह से दिल ठीक तरीके से काम नहीं कर रहा था। तभी सीनियर कार्डियक सर्जन डॉ के आर बालाकृष्णन,जो उस समय अडयार के मलार अस्पताल में थे। उन्होंने हार्ट ट्रांसप्लांट की सलाह दी। इसके बाद उसका नाम ऐसे मरीजों की सूची में डाल दिया गया, जिसे ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है। उस समय डॉक्टरों ने आयशा के हार्ट के दांए हिस्से में वेंट्रिकुलर लगा दिया, जो वेंट्रिकल को रक्त पंप करने में मदद करता है। हालांकि, साल 2023 में उसका दाहिना हिस्सा भी काम करना बंद कर दिया।

पाकिस्तानी लड़की की मां ने बताई तकलीफ

आयशा को तकलीफ में देखकर उसके माता-पिता बहुत चिंतित हुए। इस पर लड़की की मां सनोबर राशन ने कहा कि हम अपनी बेटी को इस तरह पीड़ित होते नहीं देख सकते थे। हमने उनसे (डॉक्टरों) से कहा कि हम सर्जरी का खर्च नहीं उठा सकते, लेकिन उन्होंने हमें भारत आने के लिए कहा। इसके बाद सितंबर 2023 में डॉ. बालाकृष्णन की टीम ने उन्हें बताया कि अब सिर्फ हार्ट ट्रांसप्लांट की आखिरी उपाय है आयशा के जिंदा रहने के लिए।

भारतीय डॉक्टरों ने लिया रिस्क

पीड़िता की मां को 31 जनवरी को हॉस्पिटल से फोन आया कि उसकी लड़की के लिए हार्ट की व्यवस्था हो गई है। बता दें कि भारत में दूसरे देश के लोगों के लिए हार्ट मिल जाते हैं। हालांकि, ये तभी संभव हो पाता है, जब पूरे देश में कोई संभावित प्राप्तकर्ता न हो। वहीं जिस मरीज के दिल लगाने की बात हो रही थी, उसकी उम्र 69 साल थी। 

इस पर इंस्टीट्यूट ऑफ हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांट एंड मैकेनिकल सर्कुलेटरी सपोर्ट के सह-निदेशक डॉ. के जी सुरेश राव ने कहा कई लोग ज्यादा उम्र वाले हार्ट को लगाने से झिझकते हैं। हालांकि, हमने फिर भी जोखिम लिया, क्योंकि, हार्ट की स्थिति ज्यादा उम्र होने के बाद भी सही थी। हम जानते थे कि यह आयशा के लिए एकमात्र मौका था। NGO ऐश्वर्या ट्रस्ट, पूर्व रोगियों और डॉक्टरों द्वारा जमा किए गए धनराशि की मदद से आयशा का ऑपरेशन मुफ्त में किया गया।

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