सार
मंगल मिशन को लेकर दुनियाभर में चल रहे प्रयासों को बुधवार-गुरुवार की दरमियानी रात करीब 2-3 बजे सफलता मिल गई। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के पर्सीवरेंस मार्स रोवर (Perseverance Rover) ने सफल लैंडिंग कर ली। यह मंगल की सबसे खतरनाक जगह जजीरो क्रेटर (Jezero Crater) पर उतर गया। नासा का यह नौवां मंगल मिशन था।
वाशिंगटन, अमेरिका. मंगल पर जीवन तलाशने दुनियाभर के वैज्ञानिक रिसर्च पर लगे हुए हैं। इसी बीच अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के पर्सीवरेंस मार्स रोवर (Perseverance Rover) ने बुधवार-गुरुवार की रात करीब 2-3 बजे मंगल पर सफल लैंडिंग कर ली। यह मंगल की सबसे खतरनाक जगह जजीरो क्रेटर (Jezero Crater) पर उतर गया। नासा का यह नौवां मंगल मिशन था। 1970 के दशक के बाद नासा का यह नौंवा मंगल मिशन था। सबसे बड़ी बात यह उपलब्धि भारतीय-अमेरिकी मूल की वैज्ञानिक डॉ. स्वाति मोहन की लीडरशिप में हासिल हुई। रोवर ने नासा की पहली तस्वीर भेजी है।
सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट
नासा की जेट प्रोपल्सन लेबोटरी के इंजीनियरों ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि मार्स-2020 पर्सीवरेंस मिशन सफलतापूर्वक मंगल पर उतर गया। यह एक बेहद महत्वाकांक्षी मिशन है। रोवर को किसी ग्रह की सतह पर उतारना अंतरिक्ष विज्ञान का सबसे जोखिमभरा कार्य होता है।
-क्या मंगल पर कभी जीवन था, या अब भी कुछ अंश मौजूद है? इसे लेकर दुनियाभर के वैज्ञानिक लगातार रिसर्च करते आ रहे हैं। रोवर जिस जजीरो क्रेटर नामक जगह पर उतरा, वैज्ञानिक मानते हैं कि इस जगह पर कभी पानी हुआ करता था। पर्सीवरेंस रोवर लाल ग्रह से चट्टानों के नमूने भी लेकर आएगा। पर्सीवरेंस रोवर के साथ एक हेलिकॉप्टर भी गया है। इसका नाम है-इंजीन्यूटी। बता दें कि यह नाम इसे भारतीय मूल की वनीजा रूपाणी(18) ने दिया है।
-नासा के मुताबिक, पर्सीवरेंस मार्स रोवर और इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर मंगल पर कार्बन डाई-ऑक्साइड से ऑक्सीजन बनाने का काम करेंगे। इसके अलावा मंगल की जमीन के नीचे पानी की खोज और जीवन के अंश तलाशेंगे। इसका मार्स एनवायर्नमेंटल डायनामिक्स ऐनालाइजर (MEDA) मंगल ग्रह के मौसम और जलवायु का अध्ययन करेगा।
(अभियान सफल होने पर खुशी जताती नासा की टीम)
-इस मिशन पर पिछले 10 साल से काम चल रहा था। इसे पिछले साल कोरोना महामारी के बीच जुलाई में लॉन्च किया गया था। यह अब तक के मिशन का सबसे एडवांस रोवर है। बता दें कि पृथ्वी से मंगल ग्रह की दूरी 29.25 करोड़ मील है।
-Perseverance में 23 कैमरे हैं, जो वीडियो और आवाजें रिकॉर्ड करेंगे। इसमें दो माइक्रोफोन भी हैं।
-बता दें कि नासा इससे पहले 4 रोवर मंगल पर उतार चुका है। पर्सीवरेंस से पहले 19797 में पाथफाइंडर अभियान के लिए सोजोनर को मंगल पर भेजा गया था। इसके बाद 2004 में स्पिरिट और अपॉर्च्युनिटी और फिर 2012 में क्यूरिऑसिटी मंगल पर उतरा था।
नासा के इस मार्स मिशन का नाम पर्सीवरेंस मार्स रोवर और इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर है। पर्सीवरेंस रोवर 1000 किलोग्राम वजनी है, जो परमाणु ऊर्जा से चलेगा। ऐसा पहली बार हो रहा है कि किसी रोवर में प्लूटोनियम को ईंधन के तौर पर उपयोग किया जा रहा है। रोवर 10 साल तक मंगल पर रहेगा। यह अपने साथ 7 फीट का रोबोटिक आर्म, 23 कैमरे और एक ड्रिल मशीन लेकर गया है। इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर का वजन 2 किलोग्राम है।
भारतीय-अमेरिकी मूल की वैज्ञानिक डॉ. स्वाति मोहन की लीडरशिप में हुई लैंडिंग
स्वाति मंगल पर Perseverance की लैंडिंग के दौरान Jet Propulsion Laboratory से लाइव कॉमेंट्री कर रही थीं। स्वाति बचपन से अमेरिका में रह रही हैं। इन्होंने मैसेच्यूसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से ऐरोनॉटिक्स/ऐस्ट्रोनॉटिक्स में PhD की है। इससे पहले स्वाति शनि के Cassini और चांद के GRAIL मिशन के लिए काम कर चुकी हैं। से Perseverance मिशन के साथ 2013 से जुड़ी हैं।