सार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को भरोसा दिलाया है कि भारत फर्टिलाइजर की सप्लाई जारी रखेगा। राजपक्षे ने कहा कि फर्टिलाइजर की खेप कोलंबो पहुंचने के 20 दिनों के भीतर इसे देश के किसानों में बांटा जाएगा।
कोलंबो। श्रीलंका इन दिनों आर्थिक संकट (Sri lanka Economic Crisis) का सामना कर रहा है। इस मुश्किल वक्त में भारत हर तरह से उसकी मदद कर रहा है। आर्थिक सहायता से लेकर पेट्रोल, डीजल, चावल और दवाएं देने तक भारत ने संकट से उबरने में श्रीलंका की मदद की है। इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को भरोसा दिलाया है कि भारत फर्टिलाइजर की सप्लाई जारी रखेगा। इसकी आपूर्ति में कमी नहीं होगी।
दरअसल, श्रीलंका आर्थिक संकट के साथ-साथ खाद्य संकट से भी जूझ रहा है। वहां की सरकार ने अचानक फर्टिलाइजर के इस्तेमाल पर रोक लगा दिया था और कहा था कि देश में सिर्फ जैविक खेती होगी। इसका असर यह हुआ कि फसलों की उपज बहुत अधिक कम गई और देश में खाद्य संकट आ गया।
अच्छी खेती से दूर होगी भोजन की कमी
भारत सरकार ने श्रीलंका को फर्टिलाइजर देने का फैसला किया है ताकि वहां किसान अच्छी तरह खेती कर पाएं और भोजन की कमी की समस्या का समाधान हो। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के ऑफिस से गुरुवार को जानकारी दी गई कि पीएम मोदी ने श्रीलंका को फर्टिलाइजर देने का आश्वासन दिया है।
राष्ट्रपति राजपक्षे ने अगले फसल के मौसम की आवश्यकताओं पर सिंचाई अधिकारियों के एक समूह के साथ बात करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि फर्टिलाइजर की आपूर्ति की जाएगी। उन्होंने कहा कि भारतीय लाइन ऑफ क्रेडिट के तहत फर्टिलाइजर मिलेगा। फर्टिलाइजर की खेप कोलंबो पहुंचने के 20 दिनों के भीतर इसे देश के किसानों में बांटा जाएगा। बता दें कि श्रीलंका में मई और अगस्त धान की खेती का मौसम है। इसे महा सीजन भी कहा जाता है। श्रीलंका की सरकार किसानों को खेती में मदद की पूरी कोशिश कर रही है ताकि फसल अच्छी हो और देश में चावल की कमी खत्म हो।
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पिछले साल लगा था रासायनिक उर्वरकों पर प्रतिबंध
श्रीलंका सरकार ने पिछले साल देश में सिर्फ जैविक खेती हो इसके लिए रासायनिक उर्वरकों पर प्रतिबंध लगा दिया था। दूसरी ओर बाजार में जैविक उर्वरकों की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो पाई। इसका असर कृषि उत्पादन पर दिखा। विशेष रूप से चावल और चाय का उत्पादन कम हुआ। फसल को करीब 50 प्रतिशत नुकसान हुआ, जिससे देश में भोजन की कमी हो गई।
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