सार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20वें आसियान-इंडिया शिखर सम्मेलन (20th ASEAN-India Summit) में फ्री और ओपन इंडो पैसिफिक की बात की है। यह चीन को चुभ सकती है।
जकार्ता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में 20वें आसियान-इंडिया शिखर सम्मेलन (20th ASEAN-India Summit) में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने एक ऐसी बात कही है जो चीन को चुभने वाली है। प्रधानमंत्री ने फ्री और ओपन इंडो पैसिफिक की बात की है।
दरअसल, चीन प्रशांत महासागर के दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है। इलाका कब्जाने के लिए उसने कृत्रिम द्वीप बनाए हैं। ताइवान, फिलीपींस, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम भी चीन सागर के कुछ हिस्सों पर दावा करते हैं। चीन अपने दावा वाले समुद्री इलाके से विदेशी जहाजों के आने-जाने पर आपत्ति व्यक्त करता है। वहीं, अमेरिका, जापान, भारत समेत अन्य देशों का कहना है कि यह क्षेत्र सभी देशों के जहाजों के खुला होना चाहिए।
आसियान-इंडिया शिखर में पीएम मोदी का भाषण
आसियान-इंडिया शिखर में पीएम मोदी ने कहा, "हमारी पार्टनरशिप अपने चौथे दशक में प्रवेश कर रही है। ऐसे में भारत-आसियान समिट को-चेयर करना मेरे लिए बहुत ही प्रसन्नता का विषय है। हमारी हिस्ट्री और ज्योग्राफी भारत और आसियान को जोड़ते हैं। साथ ही साझा मूल्य, क्षेत्रिय एकता, शांति, समृद्धि और मल्टी पोलर वर्ल्ड में साझा विश्वास भी हमें आपस में जोड़ते हैं। आसियान भारत की एक्ट इस्ट पॉलिसी का केंद्रीय स्तंभ है।"
पीएम ने कहा, "भारत-आसियान सेंट्रलिटी और इंडो-पैसिफिक पर आसियान के आउटलुक का पूर्ण समर्थन करता है। भारत के इंडो-पैसिफिक इनिशिएटिव में आसियान का प्रमुख स्थान है। पिछले वर्ष हमने भारत- आसियान फ्रेंडशिप इयर मनाया और आपसी संबंधों को एक कॉम्प्रिहेंसिव स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप का रूप दिया।
नरेंद्र मोदी ने कहा, "आज वैश्विक अनिश्चितताओं के माहौल में हर क्षेत्र में हमारे आपसी सहयोग में लगातार प्रगति हो रही है। यह हमारे संबंधों की ताकत और लचीलापन का प्रमाण है। इस वर्ष की आसियान समिट की थीम है आसियान मैटर्स, एपिसेंटर ऑफ ग्रोथ। आसियान मैटर्स, क्योंकि यहां सभी की आवाज सुनी जाती है और आसियान इज एपिसेंटर ऑफ ग्रोथ, क्योंकि वैश्विक विकास में आसियान क्षेत्र की अहम भूमिका है। वसुधैव कुटुंबकम, वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर की यही भावना भारत की जी20 अध्यक्षता की थीम है।
उन्होंने कहा, "21वीं सदी एशिया की सदी है। हम सबकी सदी है। इसके लिए आवश्यक है कि एक एक नियम आधारित पोस्ट कोविड वर्ल्ड ऑर्डर का निर्माण और मानव कल्याण के लिए सबका प्रयास। फ्री और ओपन इंडो पैसिफिक की प्रगति और ग्लोबल साउथ की आवाज को बुलंद करने में हम सबके साझे हित हैं। मुझे विश्वास है कि आज हमारे बातचीत से भारत-आसियान के भावी भविष्य को सुदृढ़ करने में मदद मिलेगी।"