सार
पाकिस्तान में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव खारिज करने का मामला सुर्खियों में है। सुप्रीम कोर्ट में लगातार तीसरे दिन इसकी सुनवाई चल रही है। चीफ जस्टिस के नेतृत्व वाली पांच जजों की बेंच ने इमरान की पार्टी के वकील से पूछा है कि डिप्टी स्पीकर ने किस आधार पर अविश्वास प्रस्ताव खारिज किया। उन्होंने सुरक्षा परिषद की मीटिंग के मिनिट्स के बारे में पूछताछ की।
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश (CJ) उमर अता बंदियाल ने बुधवार को पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (PTI) सरकार के वकील बाबर अवान से राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की हाल ही में हुई बैठक के मिनिट्स के बारे पूछा। इस बैठक में एक पत्र की चर्चा की गई है, जिसमें इमरान सरकार गिराने के लिए हो रही विदेशी साजिश का सबूत होेने का जिक्र किया गया है। आज भी सुनवाई में कोई फैसला नहीं हो सका। कल फिर इस मामले की सुनवाई होगी।
पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट 3 अप्रैल को नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी द्वारा अविश्वास प्रस्ताव खारिज करने और संसद भंग करने के मामलों पर स्वत: संज्ञान लेने के साथ ही विपक्ष की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान सीजे बंदियाल ने डिप्टी स्पीकर के फैसले के आधार पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा- क्या स्पीकर तथ्यों को पेश किए बिना इस तरह के फैसले की घोषणा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह संवैधानिक बिंदु था, जिस पर अदालत को फैसला करना था।
ठोस सबूतों के साथ बताएं, किस आधार पर लिया फैसला
उन्होंने पीटीआई के वकील 0अवान से अदालत को जानकारी देने के लिए कि क्या अध्यक्ष इस बारे में फैसला ले सकते हैं, जो अनुच्छेद 95 को दरकिनार कर दिन के एजेंडे में था ही नहीं। उन्होंने पीटीआई के वकील को ठोस सबूतों के साथ तथ्य पेश करने काे कहा। उन्होंने पूछा कि सूरी ने अपने अधिकारों का इस्तेमाल किस आधार पर किया है।
इमरान की पार्टी के वकील बोले- खरीद फरोख्त पर एक शब्द नहीं कहा
बुधवार की सुनवाई के दौरान पीटीआई (PTI) के वकील बाबर अवान ने कहा कि मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (MQM), तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP), पश्तून तहफ्फुज मूवमेंट (PTM) और जमात-ए-इस्लाम (JI) को मामले में प्रतिवादी नहीं बनाया गया है। उन्होंने कहा- बलूचिस्तान अवामी पार्टी और राह-ए-हक भी संसद के सदस्य हैं, लेकिन उन्हें प्रतिवादी नहीं बनाया गया है। उन्होंने कहा- अदालत को बताया गया था कि डिप्टी स्पीकर का फैसला दुर्भावनापूर्ण और असंवैधानिक है। लेकिन यह भी सवाल किया कि क्या सिंध हाउस और लाहौर के अवारी होटल में जो हुआ, क्या उसे नजरअंदाज किया जा सकता है। यहां सांसदों की खरीद फरोख्त हुई। असंतुष्टों को एक जगह रखा गया। अनुच्छेद 63-ए के बारे में किसी ने एक शब्द भी नहीं कहा।
राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की मीटिंग के जिक्र बिना आदेश चाहता है विपक्ष
अवान ने कहा कि विपक्ष संसदीय लोकतंत्र को बचाने का दावा कर रहा है, जबकि पीएमएल-एन के शहबाज शरीफ ने मामले की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग के गठन की मांग की थी। विपक्ष चाहता है कि अदालत तुरंत उसके पक्ष में एक आदेश जारी करे। वे डिप्टी स्पीकर के फैसले में राष्ट्रीय सुरक्षा समिति के उल्लेख को अलग रखना चाहते हैं।
इस पर चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या अध्यक्ष के पास निर्णय जारी करने की शक्ति है। उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या संवैधानिक प्रक्रिया को अलग रखना संभव है।
जस्टिस बंदियाल ने पूछा- "क्या स्पीकर संवैधानिक जरूरतों से इतर फैसला ले सकते हैं। अदालत अफवाहों और आरोपों को ध्यान में नहीं रखेगी।
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NSC की बैठक का जिक्र करने से इंकार
अदालत में राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक का भी जिक्र हुआ। चीफ जस्टिस ने पूछा कि बैठक कब हुई थी। लेकिन पीटीआई के वकील को इसकी तारीख की जानकारी नहीं थी।
इस बीच पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल (AGP) खालिद जावेद खान ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि इस तरह के तथ्य सरकार की ओर से आने चाहिए न कि किसी राजनीतिक दल की ओर से, क्योंकि वे विदेशी मामलों से संबंधित हैं। सीजेपी ने कहा, हम विदेशी मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते हैं। अवान ने कहा कि पत्र में चार बातों को जिक्र किया गया था। हालांकि, उन्होंने कहा कि गोपनीय मामला होने के कारण इसका विवरण यहां नहीं दिया जा सकता है। बंद कमरे में इसकी सुनवाई की जा सकती है। अवान ने इसकी ब्रीफिंग कोर्ट के सामने रखने का अनुरोध किया, लेकिन चीफ जस्टिस ने इसे खारिज कर दिया।
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