सार

श्रीलंका संकट(Protest against inflation in Sri Lanka) में मजहब की एंट्री हो गई है। मोहम्मद उवैस मोहम्मद अली साबरी को वित्तमंत्री बनाने(हालांकि उन्होंने 24 घंटे बाद ही इस्तीफा दे दिया था।) को लेकर मुस्लिम नेताओं ने श्रीलंका सरकार पर तंज मारा है। वहीं, पूर्व श्रीलंकाई क्रिकेटर अर्जुन रणतुंगा(Arjuna Ranatunga) ने गृहयुद्ध जैसी आशंका जताई है।

वर्ल्ड न्यूज. गलत आर्थिक नीतियों ने श्रीलंका की कमर((Protest against inflation in Sri Lanka) ) तोड़कर रख दी है। इस बीच श्रीलंका संकट में मजहब की एंट्री हो गई है। मोहम्मद उवैस मोहम्मद अली साबरी को वित्तमंत्री बनाने(हालांकि उन्होंने 24 घंटे बाद ही इस्तीफा दे दिया था।) को लेकर मुस्लिम नेताओं ने श्रीलंका सरकार पर तंज मारा है। वहीं, पूर्व श्रीलंकाई क्रिकेटर अर्जुन रणतुंगा(Arjuna Ranatunga) ने गृहयुद्ध जैसी आशंका जताई है। सोशल मीडिया पर आ रहे कमेंट्स बताते हैं कि श्रीलंकाई सरकार देश में हिंसक आंदोलन के लिए मुसलमानों और तमिलों को दोषी मान रही है। बता दें कि मौजूदा राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे(President Gotabaya Rajapaksa) जब अपने भाई महिंदा राजपक्षे की सरकार में रक्षा सचिव थे, तब उन्होंने तमिल विद्रोही टाइगर्स के खिलाफ 26 साल से चल रहे युद्ध को समाप्त करने में खास भूमिका निभाई थी। 

तमिल-मुस्लिम और बौद्ध में टकराव
श्रीलंका को 1948 में ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिली थी। 1972 में श्रीलंका गणराज्य बन गया। बौद्ध यहां के मूल निवासी हैं। कहते हैं कि ये 100 ईसा पूर्व से यहां रहते आए हैं। अरब देशों के साथ व्यापार के चलते मध्यकाल में मुस्लिम यहां आए। 16वीं सदी के यूरोपीय साम्राज्यवाद की शुरुआत में ईसाई भी श्रीलंका में आकर रहने लगे। यहां बहुसंख्यक सिंहल और अल्पसंख्यक तमिलों के बीच संघर्ष होता रहा है। लेकिन कुछ आतंकवादी घटनाओं के बाद मुसलमान भी इस आग में कूद पड़े।

देखिए सोशल मीडिया पर क्या चल रहा
Kavishka Shemaal ने एक tweet किया-श्रीलंका में लोग सोचते हैं कि तमिल और मुसलमान आतंकवादी हैं। लेकिन श्रीलंका में सबसे बड़े आतंकवादी राजनेता हैं। वे राष्ट्रों को बांटते हैं और अपना काम करते हैं। इस बार नहीं। अब हम सब साथ हैं। इस बार हम वो सब कुछ वापस ले लेंगे, जो आपने हमसे चुराया था।

भारत के ह्यूमन राइट जस्टिस एसोसिएशन(Human Right Justice Association) के मेंबर सैयद अज़ाज़ शाह(Saiyad Azaz Shah) ने tweet किया-मोहम्मद उवैस मोहम्मद साबरी श्रीलंका के नए वित्तमंत्री बनाए गए हैं। वे मुस्लिम फेडरेशन ऑफ श्रीलंका के प्रेसिडेंट हैं। पेशे से वकील हैं। हिजाब बैन, मदरसा बैन करके श्रीलंका की सरकार ने मुसलमानों का हर तरह से प्रताड़ित किया है। आज श्रीलंका की इकोनॉमी चरमरा गई है। लोग भूखों मर रहे हैं। तब एक मुसलमान को वित्त मंत्री बनाकर आगे किया है, ताकि देश को बचाया जा सके। मुस्लिम देशों से निवेश और मदद मंगाई जा सके। श्रीलंका की सरकार जिन मुसलमानों को परेशान करती रही है, आज जान बचाने के लिए उन्हीं मुसलमानों से मदद मांग रही है।

हालांकि आपको बता दें कि श्रीलंका के नए वित्त मंत्री (new Finance Minister) अली साबरी (Ali Sabri) ने मंगलवार को 24 घंटे में ही इस्तीफा दे दिया था। इससे एक दिन पहले राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने अपने भाई बेसिल राजपक्षे को बर्खास्त करने के बाद उन्हें नियुक्त किया था।

यह तस्वीर एक NGO Muslim Aid Sri Lanka ने tweet करके लिखा-इस रमजान के दौरान देश भर में वर्तमान आर्थिक संकट से प्रभावित कमजोर परिवारों को #HumanarianAID(मानवीय सहायता) प्रदान किया है। 

पूर्व श्रीलंकाई क्रिकेटर ने मोदी को कहा शुक्रिया
अपनी स्वतंत्रता के बाद से सबसे बड़े आर्थिक संकट में फंसे श्रीलंका की मदद करने के लिए भारती की प्रशंसा की जा रही है। श्रीलंका के पूर्व क्रिकेटर और राजनेता अर्जुन रणतुंगा(Arjuna Ranatunga) ने श्रीलंका की जरूरत की घड़ी में हर संभव तरीके से सहयोग करने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को थैंक्स कहा है। अर्जुन रणतुंगा ने कहा कि भारत श्रीलंका का बड़ा भाई रहा है। वो पेट्रोल और दवाओं जैसी हमारी जरूरतों को देख रहे है। भारत बड़ी मात्रा में हमारी मदद कर रहा है।

पूर्व श्रीलंकाई क्रिकेट सनथ जयसूर्या(Sanath Jayasuriya) भी मदद के लिए भारत को शुक्रिया कह चुके हैं। जयसूर्या ने कहा, "आप हमेशा की तरह एक पड़ोसी के रूप में जानते हैं, हमारे देश के बगल में बड़ा भाई हमारी मदद कर रहा है। हम भारत सरकार और प्रधानमंत्री (मोदी) के बहुत आभारी हैं।"

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क्या श्रीलंका संकट मुसलमानों या तमिलों ने पैदा किया?
रणतुंगा ने श्रीलंका को लेकर अपनी एक बड़ी चिंता जाहिर की-“मेरी सबसे बड़ी चिंता यह है कि मैं खूनखराबा नहीं देखना चाहता। मैं बहुत बहुत डरा हुआ हूं। मैं नहीं चाहता कि लोग एक और युद्ध शुरू करें जो हमने तीस साल तक झेला। कुछ राजनेता जो सरकार में हैं, यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह तमिलों या मुसलमानों द्वारा बनाया गया है। ऐसा करके वे इस देश को फिर से बांटने की कोशिश कर रहे हैं।"

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सरचार्ज टैक्स बिल पास
इधर, आज सुबह (7 अप्रैल) की सुबह श्रीलंका की संसद ने सरचार्ज टैक्स बिल को संशोधन के साथ( Surcharge Tax Bill passed with amendments) को पास कर दिया। 2022 के बजट में उन व्यक्तियों या कंपनियों पर एकमुश्त 25 प्रतिशत सरचार्ज टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया गया था, जिनकी 2020/2021 के लिए वार्षिक कर योग्य आय 2 बिलियन रुपये या उससे अधिक थी।

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यह भी जानें
देशभर में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे(President Gotabaya Rajapaksa) के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। 1948 में ब्रिटेन से आजाद हुआ श्रीलंका इतिहास की सबसे खराब आर्थिक स्थिति से गुजर रहा है। यहां 1 अप्रैल को इमरजेंसी लगाई गई थी, हालांकि उसे हटा लिया गया है। दुनियाभर में फैले श्रीलंकाई प्रदर्शन कर रहे हैं। श्रीलंका में बुनियादी जरूरतों जैसे-गैस, बिजली, दवा और भोजन की बेहद कमी या आपूर्ति नहीं हो पा रही है।