सार
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) इन दिनों शारिरिक संकट से जूझ रहे हैं। उन्हें एक नहीं दो-दो घातक बीमारी है। इनमें एक पेट का कैंसर (cancer) है, जिसकी सर्जरी 9 मई के बाद कभी भी हो सकती है, जबकि पर्किंसन (Parkinson) का कोई इलाज अब तक सामने नहीं आया है।
नई दिल्ली। यूक्रेन के साथ जंग में उलझे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इन दिनों एक नहीं बल्कि, दो-दो गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि पुतिन को पेट कैंसर है साथ ही उन्हें पर्किंसन नाम की बीमारी भी है। पेट का कैंसर करीब 18 महीने पहले से है और अब यह इस स्थिति में पहुंच गया है कि इसकी सर्जरी को टालना ठीक नहीं होगा। डॉक्टरों का कहना है कि सर्जरी में पहले ही देर हो चुकी है और टालना खतरे से खाली नहीं है।
रूस और यूक्रेन के बीच जंग शुरू हुए 70 दिन हो चुके हैं। यह जंग अभी लंबी खिंच सकती है। मगर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बीमारी अब लंबी खिचंना उनके लिए परेशानीभरा सबब होगा। माना जा रहा है कि सर्जरी 9 मई को विक्ट्री परेड के बाद कभी भी की जा सकती है। वैसे तो यह कैंसर की सर्जरी है, जो माना जा रहा है कि सर्जरी के बाद ठीक हो जाएगी। मगर पर्किंसन बीमारी की समस्या फिर भी बनी रह सकती है। आइए जानते हैं इस बीमारी से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां।
कहां नुकसान ज्यादा
दरअसल, पर्किंसन दिमाग से जुड़ी समस्या है। यह ज्यादातर बुढ़ापे में होती है। लोगों को इस बीमारी से जागरुक करने के लिए हर साल 11 अप्रैल को वर्ल्ड पर्किंसन डे मनाया जाता है। विशेषज्ञों की मानें तो इस बीमारी में ब्रेन की खास कोशिकाओं में नुकसान होता है। हाथ-पैर में कंपन या झनझनाहट होती रहती है। शरीर का बैलेंस नहीं बन पाता। मांसपेशियां कड़ी हो जाती हैं।
पर्किंसन के लक्षण क्या हैं
इन लक्षणों को देखकर इसे प्रोग्रेसिव न्यूरो-डी-जनरेटिव डिसऑर्डर भी कहते हैं। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है और इसलिए इससे बचे रहना ही इसका इलाज है। हालांकि, यह बीमारी अगर किसी को हो गई है, तो डॉक्टर कुछ परहेज और कुछ खास खानपान के जरिए इसे मैनेज कर पाते हैं। यह दिमाग के खास क्षेत्र में डोमामिन उत्पादक न्यूरोन्स पर असर डालता है। इसके लक्षण अचानक सामने नहीं आते बल्कि, धीरे-धीरे उभरते हैं। इसमें मरीज के हाथ-पैर में कंपन या झनझनाहट महसूस होती है। खासकर, यह सोए या बैठे रहने के दौरान ज्यादा होती है। मांसपेशियां सख्त हो जाती है और चलने या काम करने की स्पीड धीरे-धीरे कम होती जाती है। चलने-फिरने के दौरान बैलेंस नहीं बनता, जिससे गिरने की आशंका बनी रहती है।
नींद नहीं आना और बेचैनी सी महसूस होना भी इसके मुख्य लक्षण हैं।
ठीक होना है तो खानपान पर ध्यान रखना बेहद जरूरी
इसके ठोस कारण तो नहीं पता, मगर अलग-अलग लक्षणों की वजह से इलाज प्रक्रिया भी अलग-अलग होती है। हालांकि, इसका सटीक उपचार अभी नहीं है, मगर कुछ दवाओं और परहेज की वजह से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। वैसे यह बीमारी गंभीर नहीं है, लेकिन यह रोग और उसके असर की गई जगह के हिसाब से नियंत्रित किया जा सकता है। स्वस्थ्य खानपान से भी इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। चीनी, नमक, प्रोसेस्ड फूड, डेयरी उत्पाद से बचना चाहिए। नॉनवेज से भी दूर रहना चाहिए।