सार
मिट्टी बचाओ अभियान के वैश्विक आंदोलन को तेज करने के लिए सद्गुरु ने जिनेवा में आह्वान किया कि मिट्टी बचाने के लिए दुनिया को आज की तारीख में नीति बनानी चाहिए कल नहीं।
जिनेवा। पर्यावरण प्रेमी अपने अपने आईडियाज और अनुभवों को दुनिया से साझा कर और साथियों के साथ मिलकर पृथ्वी को सुंदर और सुरक्षित रखने का अभियान छेड़े हुए हैं। वैश्विक संस्था अर्थवर्क फाउंडेशन का भी मृदा बचाओ आंदोलन भी अनोखा और महत्वपूर्ण अभियान है जो पृथ्वी को विनाश से बचाने के लिए जरूरी है। बुधवार जिनेवा (Geneva) में मिट्टी बचाओ अभियान में इसके प्रणेता आध्यात्मिक गुरु सद्गुरु (Sadhguru) भी शामिल हुए। अर्थवर्क फाउंडेशन (Earth work foundation) के सीईओ बास्तियन सचेत के साथ मिट्टी बचाओ आंदोलन में पहुंचे सद्गुरु का युवा अंबेस्डर्स ने जोरदार स्वागत किया। कार्यक्रम में सद्गुरु ने इस आंदोलन की महत्ता पर अपने विचार व्यक्त करने के साथ तमाम लोगों के सवालों का भी जवाब दिया।
मिट्टी के महत्व को याद रखना ही होगा
सद्गुरु ने कहा कि अगर हम जीवन की बनावट को महसूस करते हैं, तो हम मिट्टी के महत्व को भूल नहीं सकते। उन्होंने मिट्टी को भोजन में बदलने के आंतरिक ज्ञान को संरक्षित करने के महत्व पर प्रकाश डाला, चेतावनी दी कि अगर यह खो गया, तो आने वाली पीढ़ियों को बहुत नुकसान होगा। उन्होंने दर्शकों से उन चिंताओं के लिए अपनी आवाज उठाने का आग्रह किया जो हमारे लिए और मानवता के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हैं।
जब एक छोटी बच्ची ने किया सवाल तो...
एक छोटी बच्ची ने कार्यक्रम के दौरान सद्गुरु से सवाल किया कि वह #SaveSoil मदद करने के लिए एक बच्चे के रूप में क्या कर सकती है। बच्ची के सवाल पर सद्गुरु ने उसे प्रधानमंत्री को लिखने और मिट्टी के लिए अपनी चिंता व्यक्त करने के लिए 1,000 बच्चों को इकट्ठा करने के लिए आमंत्रित किया। सद्गुरु ने श्रोताओं के साथ उस आह्वान को दोहराते हुए समाप्त किया कि यदि वे मिट्टी की गंभीर स्थिति के प्रति जाग गए हैं, तो उन्हें शेष विश्व को जगाना होगा।
मिट्टी को बचाने के लिए अभी नीति बनाएं कल नहीं
इससे पहले, सद्गुरु रोम से जिनेवा पहुंचे थे। कई घंटों की चुनौतीपूर्ण व थकान भरी यात्रा के बावजूद संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन को संबोधित करते हुए, सद्गुरु ने मिट्टी के विलुप्त होने के मुद्दे पर तत्काल आगे आने का आह्वान किया। सद्गुरु ने चुनौती से निपटने में तेजी लाने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि दुनिया को आगे बढ़ने और मिट्टी के क्षरण को रोकने के लिए नीति निर्माण अभी होने की जरूरत है, कल नहीं। यह 8-20 वर्षों में मिट्टी के स्वास्थ्य में बदलाव को प्रभावित कर सकता है।
यह अनुमान लगाया गया है कि मिट्टी के विलुप्त होने से अभूतपूर्व वैश्विक उथल-पुथल हो सकती है जिसमें भोजन और पानी की कमी, गृह युद्ध, तीव्र जलवायु परिवर्तन प्रभाव और दुनिया भर में अनियंत्रित सामूहिक प्रवास शामिल हैं। मृदा बचाओ आंदोलन राष्ट्रों में नागरिक समर्थन को सक्रिय करने और प्रदर्शित करने का प्रयास करता है और सरकारों को मिट्टी को पुनर्जीवित करने और आगे की गिरावट को रोकने के लिए नीति-संचालित कार्रवाई शुरू करने के लिए सशक्त बनाता है।
मिट्टी बचाओ अभियान के लिए सद्गुरु का अनूठा प्रयास
सद्गुरु वर्तमान में 100 दिनों में, 30,000 किमी की सवारी पर यूके, यूरोप, मध्य पूर्व और भारत से होकर गुजरते हुए 27 देशों का दौरा कर रहे हैं ताकि मिट्टी के क्षरण को उलटने और रोकने के लिए तत्काल प्रयास किया जा सके।