सार
श्रीलंका आर्थिक रूप से बदहाल हो चुका है। देश में मूलभूत आवश्यकताओं के लिए लोग तरस रहे हैं। राजनीतिक निरंकुशता की वजह से लोग सड़कों पर हैं। श्रीलंका की राजनीति में सबसे रसूखदार राजपक्षे परिवार के सभी सदस्यों को सत्ता से बेदखल होना पड़ा है। गोटाबया राजपक्षे के राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद अब इस परिवार से पूरी तरह से सत्ता छीन चुकी है।
कोलंबो। कभी श्रीलंका की राजनीति का सबसे चहेता रहे राजपक्षे परिवार की मुश्किलें बढ़नी शुरू हो चुकी है। देशवासियों के भारी विरोध के चलते सत्ता गंवाने वाले राजपक्षे परिवार पर कोर्ट का डंडा चला है। Supreme Court ने पूर्व राष्ट्रपति गोटाबया राजपक्षे के दो भाईयों को देश छोड़ने पर रोक लगा दी है। पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और पूर्व वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे को कोर्ट ने देश छोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है। पूर्व राष्ट्रपति गोटाबया राजपक्षे, पहले ही देश छोड़ चुके हैं। वह यहां से मालदीव होते हुए सिंगापुर में हैं। बताया जा रहा है कि सऊदी अरब वह जा सकते हैं। उधर, गोटाबया राजपक्षे के इस्तीफा के बाद प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को शुक्रवार को देश का कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया गया। विक्रमसिंघे ने कार्यवाहक राष्ट्रपति पद के लिए पद एवं गोपनीयता की शपथ ले ली है।
दो महीने पहले महिंदा राजपक्षे को देना पड़ा था इस्तीफा
महिंदा राजपक्षे ने दो महीने पहले ही प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जब उनके समर्थकों ने उनके भाई, तत्कालीन राष्ट्रपति गोटाबया राजपक्षे के कार्यालय के बाहर विरोध कर रहे कुछ लोगों पर हमला किया था। उसके बाद विरोध और तेज हो गया। आखिरकार गोटाबया राजपक्षे को देश छोड़कर जाने के बाद इस्तीफा भी देना पड़ा। गोटाबया का देश छोड़ना, यहां की अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन पर महीनों से चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बाद आया। श्रीलंका कई महीनों से बेहद तंग दौर से गुजर रहा है। खाने-पीने के सामान, दवाईयों, ईंधन का घोर अभाव है। नकदी के संकट और बढ़ते विदेशी कर्ज का खामियाजा देश के लोग भुगतने को मजबूर हैं। लोगों को खाने के एक एक सामानों के लिए लंबी-लंबी लाइनों में खड़े होकर काफी इंतजार करने के साथ कई सौ गुना भुगतान करना पड़ रहा है।
गोटाबया के इस्तीफा के बाद कार्यवाहक राष्ट्रपति की नियुक्ति
स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धन ने बताया कि गोटाबाया ने कल से कानूनी रूप से इस्तीफा दे दिया है। प्रधान मंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली है। एक अधिकारी ने कहा कि संसद बुधवार, 20 जुलाई को एक नए राष्ट्रपति का चुनाव करेगी।
प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन सरकार को सौंपा
प्रदर्शनकारियों ने शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन को भी सरकार को सौंप दिया। कई दिनों पहले इस पर लोगों ने कब्जा जमा लिया था और तत्कालीन राष्ट्रपति गोटाबया राजपक्षे को भागना पड़ा था। शुक्रवार को एक फोरेंसिक टीम तुरंत अंदर आई और क्षति की डिग्री का आकलन करने के अलावा उंगलियों के निशान एकत्र करना शुरू कर दिया।
क्या कहा कार्यवाहक राष्ट्रपति ने?
कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद संसद को संबोधित करते हुए, पीएम विक्रमसिंघे ने कानून और व्यवस्था को सख्ती से बनाए रखने का संकल्प लिया। उन्होंने कुछ संशोधन करते हुए राष्ट्रपति की शक्तियों में कटौती की थी और संसद को सशक्त बनाया था। कार्यवाहक राष्ट्रपति ने कहा कि सशस्त्र बलों को हिंसा और तोड़फोड़ के किसी भी कृत्य से निपटने की शक्ति और स्वतंत्रता दी गई है। उन्होंने कहा कि मैं शांतिपूर्ण प्रदर्शनों का शत-प्रतिशत समर्थन करता हूं। दंगाइयों और प्रदर्शनकारियों के बीच अंतर है। उन्होंने कहा कि अगले राष्ट्रपति के चुनाव में मतदान करने वाले सांसदों को संसद में शामिल होने के लिए पूरी सुरक्षा दी जाएगी।
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