सार

यूक्रेन(Ukraine) पर रूस(Russia) के हमले की आशंका बढ़ती जा रही है। स्विटजरलैंड के जेनेवा में रूस और अमेरिका के बीच यूक्रेन संकट पर उच्चस्तरीय बातचीत के बावजूद एक लाख से अधिक रूसी सैनिकों ने यूक्रेन को तीन तरफ से घेर लिया है।

जेनेवा. रूस और यूक्रेन के बीच विवाद(Ukraine Russia clash) युद्ध के कगार पर पहुंच गया है। रूस के करीब 1 लाख सैनिकों ने यूक्रेन को तीन तरफ से घेर लिया है। इससे युद्ध की प्रबल आशंका बन गई है। यह तब हो रहा है, जब स्विटजरलैंड के जेनेवा में रूस और अमेरिका के बीच यूक्रेन संकट पर उच्चस्तरीय बातचीत हुई। इस दौरान रूस ने अमेरिका को भरोसा दिलाया था कि वो यूक्रेन पर हमला नहीं करेगा। हालांकि रूस ने नाटो से इस बात की गारंटी की मांग की कि वह यूक्रेन को कभी सदस्यता पेश नहीं करेगा। यह बातचीत सोमवार को सात घंटे तक चली। रूसी सेना ने यूक्रेन को पूर्वी क्षेत्र के सोलोटी और बोगुचार, जबकि उत्तरी क्षेत्र में पोचेप से घेर रखा है। रूस लगातार यूक्रेन की सीमा पर अपना सैन्य जमावड़ा बढ़ा रहा है। 

बातचीत से नहीं निकला कोई हल
जेनेवा में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध टालने के लिए चल रही वार्ता का मंगलवार को भी कोई समाधान नहीं निकल सका। रूसी उप विदेश मंत्री रायबाकोव ने अमेरिकी उप विदेश मंत्री वेंडी शर्मन को एक सूत्री शर्त रखी। यानी अमेरिका यूक्रेन को सैन्य संगठन नाटो में शामिल नहीं करे। रूस नहीं चाहता कि उसके करीब नाटो सेना पहुंचे। हालांकि अमेरिका ने यूक्रेन को नाटो में शामिल करने के बारे में कोई कोई निर्णय नहीं लिया है।  अमेरिका के वाल्श स्कूल आफ फॉरेन सर्विस एंड डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट के प्रोफेसर चार्ल्स कप्शन का कहना है कि पश्चिमी देशों व रूस के बीच मध्यस्थता करने का भारत के पास अच्छा मौका है। अगर रूस पर अमेरिका कोई बैन लगाता है, तो उसका झुकाव चीन की ओर हो जाएगा। यह भारत के लिए ठीक नहीं है। यानी इससे चीन को फायदा होगा। अमेरिका सीधे तौर पर युद्ध में शामिल नहीं होगा।

इसलिए दोनों देशों में ठनी है
पश्चिमी देशों की खुफिया संस्थाओं का अनुमान है कि युक्रेन की सीमाओं पर रूसी सेना की संख्या जनवरी के आखिरी तक 1.75 लाख तक पहुंच सकती है। पश्चिमी देशों में दूसरे विश्व युद्ध के बाद ऐसे हालात फिर से बन रहे हैं। रूस को आशंका है कि अगर यूक्रेन नाटो का सदस्य बना, तो नाटो के ठिकाने उसकी सीमा के नजदीक तक पहुंच जाएंगे। कभी पूर्वी यूक्रेन पुतिन समर्थक हुआ करता था। लेकिन 2014 में रूस के क्रीमिया पर हमले के बाद से स्थिति बदल गई। यूक्रेन के लोग रूस विरोधी सरकारों को चुनते आए हैं। 2014 में हुए युद्ध में रूस ने युक्रेन से क्रीमिया को छीनकर अपना कब्जा कर लिया था। 1991 से पहले यूक्रेन सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करता था। लेकिन अब वो एक रूस को पसंद नहीं करता है।

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