H-1B Visa: अमेरिका के एच-1बी वीजा नियमों में किए गए बदलावों ने भारतीय आईटी सेक्टर के बीच हलचल मचा दी है। हालांकि, डॉक्टरों के लिए यह आदेश राहत की खबर भी लेकर आया है, क्योंकि उन्हें इस शुल्क से छूट दी जा सकती है।

H-1B Visa: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 19 सितंबर को एक नया आदेश जारी कर भारत को झटका दिया था। इसके तहत अब हर H-1B वीजा पर कंपनियों को हर साल 1,00,000 डॉलर यानी करीब 83 लाख रुपये फीस चुकानी होगी। यह फैसला अमेरिकी टेक कंपनियों और विदेशी कर्मचारियों, खासकर भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। हालांकि, अमेरिका जाने वाले डॉक्टरों के लिए राहत की खबर है। उन्हें इस भारी-भरकम फीस से छूट मिल सकती है। ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि राष्ट्रीय हित को देखते हुए कुछ मामलों में डॉक्टरों को छूट दी जाएगी। नासकॉम के अनुसार, एच-1बी वीजा फीस में हुई यह बढ़ोतरी मौजूदा वीजा धारकों पर लागू नहीं होगी। यह नया नियम साल 2026 से लागू किया जाएगा।

आईटी सेक्टर पर नहीं पड़ेगा बड़ा असर 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आईटी कंपनियों के शीर्ष संगठन नासकॉम ने नई दिल्ली में कहा कि भारतीय और भारत से जुड़ी कंपनियों ने बीते कुछ सालों में अमेरिका में अपने संचालन का तरीका काफी बदल लिया है। अब वे एच-1बी वीजा पर कम निर्भर हैं और स्थानीय स्तर पर भर्ती को बढ़ावा दे रही हैं। बता दें कि 2015 में प्रमुख भारतीय कंपनियों को 14,792 एच-1बी वीजा मिले थे, वहीं 2024 तक यह संख्या घटकर 10,162 रह गई। नासकॉम का मानना है कि इसी वजह से ट्रंप प्रशासन के हालिया फैसले का आईटी सेक्टर पर बड़ा असर नहीं पड़ेगा।

1 लाख डॉलर का शुल्क देना होगा

नासकॉम ने यह भी स्पष्ट किया कि फीस में बढ़ोतरी मौजूदा वीजा धारकों पर लागू नहीं होगी। नए आवेदन करने वालों को सिर्फ एक बार 1 लाख डॉलर का शुल्क देना होगा। इस बदलाव से पात्रता और समय सीमा से जुड़ी अनिश्चितताएं कम हुई हैं और खासकर अमेरिका के बाहर रह रहे एच-1बी वीजा धारकों की चिंताओं में राहत मिली है। यह नया नियम 2026 से लागू होगा। यानी कंपनियों के पास इतना समय होगा कि वे अमेरिका में स्किलिंग प्रोग्राम को और मजबूत कर सकें और स्थानीय स्तर पर भर्ती बढ़ा सकें। उद्योग जगत पहले ही इस दिशा में बड़ा निवेश कर रहा है। अमेरिका में स्किलिंग और भर्ती पर 100 करोड़ डॉलर से अधिक खर्च किया जा रहा है, और स्थानीय कर्मचारियों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

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कर्मचारियों की हिस्सेदारी कुल कार्यबल का 1% से भी कम

नासकॉम ने यह भी बताया कि शीर्ष 10 भारतीय और भारत से संबंधित कंपनियों में एच-1बी कर्मचारियों की हिस्सेदारी कुल कार्यबल का 1% से भी कम है। एच-1बी वीजा मूल रूप से कुशल पेशेवरों के लिए है, जो अमेरिका में स्किल गैप को पूरा करते हैं। इन कर्मचारियों को स्थानीय कर्मचारियों के बराबर वेतन मिलता है और वे अमेरिका की कुल कार्यबल का केवल एक छोटा हिस्सा हैं।