प्रेसिडेंट बिडेन ने व्हाइट हाउस से एक राष्ट्रव्यापी संबोधन में कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि रूस हमलावर है, इसलिए हम उन चुनौतियों के बारे में स्पष्ट हैं जिनका हम सामना कर रहे हैं। फिर भी, सबसे खराब स्थिति को टालने के लिए अभी भी समय है।

वाशिंगटन। यूक्रेन (Ukraine) के पूर्वी क्षेत्रों को रूस द्वारा स्वतंत्र मान्यता देने के बाद अमेरिका (America) ने भी प्रतिबंधों की शुरूआत कर दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति बिडेन (Joe Biden) ने कहा कि रूस के खिलाफ प्रतिबंधों की यह पहली किश्त है। अमेरिका ने निर्णय लिया है कि पश्चिमी फाइनेंस से रूस को अलग करेंगे। अब रूस पर वित्तीय प्रतिबंध लागू कर दिया गया है। प्रतिबंध के बाद रूस, पश्चिमी देशों में व्यवसाय न कर सकेगा ना ही फंड ले सकेगा।

किनको किनको टारगेट करेगा अमेरिका

यूएस राष्ट्रपति जो बिडेन (US President Joe Biden) ने साफ तौर पर कहा कि वह रूसी वित्तीय संस्थानों और रूस के एलिट क्लास को भी टारगेट करेगा। अब रूस सरकार, वित्तीय संस्थान या रूस का बिजनेस क्लास, पश्चिमी देशों में न तो व्यापार करेगा ना ही वह फंड ले सकेगा। 

यूक्रेन को यूएस करेगा हथियारों की आपूर्ति

बिडेन ने यह भी कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका रूसी आक्रमण के खिलाफ यूक्रेन को रक्षात्मक हथियारों की आपूर्ति करना जारी रखेगा और पूर्वी यूरोप में नाटो सहयोगियों को मजबूत करने के लिए अधिक अमेरिकी सैनिकों को तैनात करेगा।

बिडेन ने कहा कि मैंने अपने बाल्टिक सहयोगियों, एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया को मजबूत करने के लिए पहले से ही यूरोप में तैनात अमेरिकी बलों और उपकरणों के अतिरिक्त आंदोलनों को अधिकृत किया है। उन्होंने कहा कि सबको पता होना चाहिए कि यह हमारी ओर से पूरी तरह से रक्षात्मक कदम हैं।

बिडेन ने कहा कि कूटनीति के माध्यम से रूसी आक्रमण से यूक्रेन को बचाने के लिए अभी भी समय है। प्रेसिडेंट बिडेन ने व्हाइट हाउस से एक राष्ट्रव्यापी संबोधन में कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि रूस हमलावर है, इसलिए हम उन चुनौतियों के बारे में स्पष्ट हैं जिनका हम सामना कर रहे हैं। फिर भी, सबसे खराब स्थिति को टालने के लिए अभी भी समय है। रूस को सिर्फ सुझावों पर अमल करना होगा।

सोमवार को रूस ने दो देशों को दी थी मान्यता

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को विद्रोहियों के कब्जे वाले यूक्रेन के डोनेट्स्क और लुगांस्क क्षेत्रों की स्वतंत्रता को मान्यता दी थी। इन दोनों को अलग देश के रूप में पुतिन ने मान्यता देते हुए अपने रक्षा मंत्रालय को अलगाववादियों के कब्जे वाले क्षेत्रों में शांति व्यवस्था का कार्य संभालने का निर्देश दिया।

यह है विवाद की वजह

रूस यूक्रेन की नाटो की सदस्यता का विरोध कर रहा है। लेकिन यूक्रेन की समस्या है कि उसे या तो अमेरिका के साथ होना पड़ेगा या फिर सोवियत संघ जैसे पुराने दौर में लौटना होगा। दोनों सेनाओं के बीच 20-45 किमी की दूरी है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन पहले ही रूस को चेता चुके हैं कि अगर उसने यूक्रेन पर हमला किया, तो नतीजे गंभीर होंगे। दूसरी तरफ यूक्रेन भी झुकने को तैयार नहीं था। उसके सैनिकों को नाटो की सेनाएं ट्रेनिंग दे रही हैं। अमेरिका को डर है कि अगर रूस से यूक्रेन पर कब्जा कर लिया, तो वो उत्तरी यूरोप की महाशक्ति बनकर उभर आएगा। इससे चीन को शह मिलेगी। यानी वो ताइवान पर कब्जा कर लेगा।

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