सार

रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग (Russia-Ukraine War) में एक बार फिर डैम वॉरफेयर की चर्चा होने लगी है। जी हां, मतलब साफ है कि बांधों को भी हथियार की तरह (Dam Warfare) से इस्तेमाल किया जा सकता है।

What is dam warfare. बीते 6 जून को रूस ने यूक्रेन के सबसे बड़े बांध नोवा काखोवका पर हमला किया और बांध का एक हिस्सा तोड़ दिया। इससे यूक्रेन के कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं और करीब 42 हजार लोगों की जिंदगी मुश्किल में पड़ गई है। इसका असर दोनों देशों पर पड़ा है और दोनों सेनाएं अपने-अपने इलाके में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही हैं। दोनों देश एक-दूसरे पर बांध तोड़ने का आरोप भी लगा रहे हैं।

क्या होता है डैम वॉरफेयर

किसी भी युद्ध के दौरान बांधों पर हमला करने को डैम वॉरफेयर कहते हैं। जंग के मैदान में दुश्मन सेना को रोकने के लिए या पीछे करने के लिए बड़े बांधों, नदियों, नहरों के पानी को छोड़ा जाता है। इसे सरल भाषा में डैम वॉरफेयर कहते हैं। यही डैम वॉरफेयर इस वक्त रूस-यूक्रेन के बीच चल रहा है। जबकि 85 साल पहले जापान-चीन के बीच भी डैम वॉरफेयर हुआ था, जिसमें चीन के करीब 1 लाख लोगों की जान चली गई थी। इतिहास पर नजर डालें तो पहला डैम वॉरफेयर 1400 साल पहले हुआ। जब पर्शिया के राजा साइरस ने युफटेरस नदी की धारा को बदलकर सैनिकों के लिए रास्ता बनाया। तब बेबिलोन पर पर्शिया ने कब्जा किया। इसे डैम वॉरफेयर की शुरूआत कहा जाता है।

कब-कब हुआ डैम वॉरफेयर

  • 1400 साल पहले पर्शिया (अब ईरान) ने की शुरूआत
  • 1200 ईस्वी में मंगोलों ने डैम तोड़ा 10 लाख लोगों की मौत
  • 1500 ईस्वी से 2000 ईस्वी के बीच नीदरलैंड और साउथ वेस्ट यूरोप में डैम वॉरफेयर
  • 1938 में जापान-चीन युद्ध में डैम वॉरफेयर से चीन 1 लाख लोग मारे गए
  • 1943 में ब्रिटेन ने जर्मनी के 3 बांधों को तोड़ा हजारों की मौत

भारत पर कैसे हैं डैम वॉरफेयर का खतरा

ब्रह्मपुत्र नदी पर 2016 में चीन ने हाइड्रोइलेक्ट्रिक बांध बनाने का ऐलान किया और 2017 में असम में भीषण बाढ़ आ गई। तब चीन पर आरोप लगा कि यह पानी का इस्तेमाल जियोपॉलिटिकल हथियार की तरह करना चाहता है। चीन से सटे कई भारतीय राज्यों पर इसी तरह से पानी का खतरा है। अमेरिका की इंटेलिजेंस रिपोर्ट बताती है कि क्लाइमेट चेंज होने के कारण कई देशों के बीच पानी से जुड़ा विवाद बड़ा खतरा बन सकते हैं।

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