सार
सदगुरु (Sadhguru) ने BMW K1600 49GT बाइक का प्रयोग यूरोपियन टूर पर किया है। हालांकि भारत सहित दुनिया के अन्य देशों की यात्रा के लिए वे अलग-अलग बाइक चलाते हैं।
नई दिल्ली. विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरू सदगुरु यूरोप के दौरे पर रहते हैं तो BMW K1600 49GT बाइक का प्रयोग करते हैं। मिडिल ईस्ट के दौरे पर होंडा अफ्रीका ट्वीन का उपयोग करते हैं। जबकि भारत में होते हैं उनके पैर फिर से बीएमडब्ल्यू पर होते हैं।
उन्होंने यह क्यों चुना
सदगुरु ने BMW K1600 49GT बाइक का उपयोग उत्तरी अमेरिका में 10 हजार मील की आध्यात्मिक दूरी तय करने के लिए की। उनका कहना है कि हाईवे पर यह गाड़ी शानदार है क्योंकि तब आप हाई स्पीड पर चलते हैं। इसका मेंटेनेंस भी काफी कम होता है और इसे इस्तेमाल करना भी काफी आसान है। सदगुरु कहते हैं कि यदि मुझे 10 हजार किलोमीटर और चलना है तो यह बाइक ही मेरी पसंद होगी।
क्या है इसकी खासियत
सदगुरु कहते हैं कि इस बाइक में इनलाइन 6 इंजन हैं जो जरा सा भी बाइब्रेशन नहीं करता है। इससे आप लगातार 6 से 7 घंटे तक सफर कर सकते हैं। यह तब भी लाभदायक है जब हमें एक गैस स्टेशन से दूसरे गैस स्टेशन के बीच की साढ़े चार घंटे की दूरी तय करनी हो। इसका वजन करीब 350 किलाोग्राम है, जिसकी वजह से इस सड़क और जमीन पर भी आसानी से चलाया जा सकता है। सदगुरु कहते हैं कि वे मिडिल ईस्ट के लिए होंडा अफ्रीक ट्वीन का इस्तेमाल करते हैं। यह भले ही बीएमडब्ल्यू की तरह आरामदायक न हो लेकिन आफ रोड चलने के लिए यह वंडरफुल मशीन है।
लंबी दूरी के लिए बनी है बाइक
यदि इसकी डिजाइन की बात करें तो यह सामान्य बाइक की तरह ही है लेकिन शानदार लाइट और आरामदायक फुटरेस्ट इसे औरों से अलग बनाता है। जल्द ही सदगुरु इससे आस्ट्रेलिया का दौरा भी करने वाले हैं। हालांकि वे इसका टायर बदलवाना चाहते हैं। उन्हें यह सफलता बुल्गारिया के सोफिया में मिली क्योंकि उस रूट पर इसके लिए कोई बेहतर वर्कशाप नहीं मिल पाया।
रास्ते में आई दिक्कतें
सदगुरु बताते हैं कि इस बाइक से सफर के दौरान स्विट्जरलैंड से पेरिस और रियाद से मनामा के बीच करीब 45 से 65 किलोमीटर आफरोड भी चलना पड़ा। यह सदगुरु के मुश्किल था कि इस दौरान सड़क पर पैदल चलते हुए बाइक का बैलेंस बरकरार रखा जाए। अपनी यात्रा की प्लानिंग के बारे में सदगुरु बताते हैं कि लोगों को विश्वास था कि 100 दिनों में 30 हजार किलोमीटर की यात्रा की जा सकती है। इसके लिए बाइक और व्यक्ति को एक दिन का भी आराम नहीं करना था। इस दौरान 48 डिग्री सेल्सियस तापमान के साथ ही जीरो तापमान में भी यात्रा करनी पड़ी। बारिश, हवा और बर्फ का भी सामना करना पड़ा।
सदगुरु ने बाइक को ही क्यों चुना
यह सवाल उठता है कि आखिर सदगुरु ने इस यात्रा के लिए् बाइक को ही क्यों चुना। इसके वे दो कारण बताते हैं। सदगुरु कहते हैं कि जब तक इसमें युवा शामिल नहीं होते, यह पूरा नहीं होता और बाइक युवाओं को आकर्षित करती है। यह युवाओं को एक संदेश देने के लिए था कि वे अपनी मिट्टी से जुड़े रहें। दूसरा कारण यह कि कहीं भी जल्दी पहुंचने के लिए यह बेहतर साधन है। सदगुरु बताते हैं कि यात्रा के दौरान हमने कई स्टेट हेड, एग्रीकल्चर और इंवायरमेंट मिनिस्टर्स, कई प्रसिद्ध हस्तियों से भी मिलने का कार्यक्रम बनाया था। हमने दुनिया के 750 राजनैतिक दलों को पत्र लिखा कि मिट्टी की रक्षा का एजेंडा पार्टी के एजेंडे में शामिल करें। यदि हम एक-दूसरे देश फ्लाई करते रहते तो किसी के दरवाजे हमारे लिए नहीं खुलते।
बाइकर्स को सदगुरु की सलाह
65 साल की उम्र में रोजाना 400-450 किलोमीटर की यात्रा करके 100 दिनों में 30 हजार किलोमीटर की जर्नी पूरी करने के सवाल पर सदगुरु कहते हैं कि यह एक तरह से योग का प्रचार है। जब हम लंबे समय तक यात्रा करते हैं तो हमारा स्पाइन ज्यादा काम करता है। इससे हमारे स्पाइन व मसल्स दोनों का भरपूर व्यायाम होता है। यह हमें और दूर तक जाने के लिए प्रेरित करता है।
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