सार

: दुनिया भर में साल 2020 के दौरान कोरोना वायरस की एक ऐसी लहर सामने आई थी, जिसकी चपेट में लाखों-करोड़ों लोग आ गए थे। उस दौरान इस महामारी ने लाखों लोगों की जिंदगी तबाह कर दी थी।

कोविड 19: दुनिया भर में साल 2020 के दौरान कोरोना वायरस की एक ऐसी लहर सामने आई थी, जिसकी चपेट में लाखों-करोड़ों लोग आ गए थे। उस दौरान इस महामारी ने लाखों लोगों की जिंदगी तबाह कर दी थी। इसी संक्रमित बिमारी को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई है, जो चौंकाने वाली है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने शुक्रवार (26 अप्रैल) को एक रिपोर्ट जारी की है। इसके मुताबिक दुनिया भर में कोविड-19 महामारी के दौरान एंटीबायोटिक दवाओं का अंधाधुंध इस्तेमाल किया गया है, जिसकी वजह से रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) के प्रसार को बदतर बना दिया है।

WHO की रिपोर्ट में पाया गया कि लगभग 75 फीसदी कोविड मरीज एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल इलाज कराने के लिए करते थे, जबकि मात्र 8 फीसदी ही ऐसे मरीज होते थे, जिन्हें एंटीबायोटिक दवाओं की जरूरत होती थी। AMR शीर्ष वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य में से एक है। ये लगभग 1.27 मिलियन मौतों के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार था और साल 2019 में हुई दुनिया भर में 4.95 मिलियन (49 लाख) मौतों में इसका योगदान रहा है।

एंटीबायोटिक दवाओं के साइड इफेक्ट्स

कोविड-19 महामारी के दौरान एंटीबायोटिक का इस्तेमाल बढ़ गया। वैश्विक स्वास्थ्य निकाय ने कहा कि 2020 और 2022 के बीच पूर्वी भूमध्यसागरीय और अफ्रीकी क्षेत्रों में इसमें 83 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में 33 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल करने की उच्चतम दर गंभीर या नाजुक कोविड-19 वाले रोगियों में देखी गई, जिसका वैश्विक औसत 81 फीसदी है। 

हल्के या मध्यम मामलों में काफी भिन्नता देखी गई।  अफ्रीकी क्षेत्र में सबसे अधिक 79 फीसदी लोगों ने दवाओं का इस्तेमाल किया। ऐसा देखा गया है कि जब भी किसी मरीज को एंटीबायोटिक की जरूरत होती है तो इसका साइड इफेक्ट्स या एंटीबायोटिक प्रतिरोध से जुड़े जोखिमों की भी आशंका ज्यादा होती है।

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