टैरो (Tarot), कार्डों की रहस्यमयी दुनिया और भविष्य आंकलन की सर्वप्रिय विधा है। इस शब्द की उत्पत्ति भी रहस्यमय है। टैरो सिर्फ शब्द नहीं, भविष्य और जीवन है। टैरो डेक में कुल 78 कार्ड होते हैं, जिन्हें मेजर आर्काना तथा माइनर आर्काना में विभक्त किया गया है।
आज (10 जून, शुक्रवार) ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है। इस दिन निर्जला एकादशी का पर्व मनाया जाएगा। शुक्रवार को सूर्योदय चित्रा नक्षत्र में होगा, जो पूरे दिन रहेगा।
टैरो रीडिंग भविष्य जानने के सबसे पुराने तरीकों में से एक है, जो कि दुनिया भर में प्रचलित है। टैरो कार्ड रीडिंग, आपके भविष्य और आपके गहरे छिपे रहस्यों को उजागर करता है। टैरो मूल रूप से ताश के पत्तों का एक डेक है जिसके प्रत्येक कार्ड में एक प्रतीकात्मक और गहरा अर्थ होता है।
इंदौर की फेमस एस्ट्रोलॉजर, वस्तु एंड टैरो कार्ड एक्सपर्ट भूमिका कलम के अनुसार, टैरो कार्ड रीडिंग कार्टोमेंसी का एक रूप है जिसके द्वारा ज्योतिषी भूत, वर्तमान और भविष्य के बारे में जानकारी जानकारी देते हैं। वे एक प्रश्न बनाते हैं, फिर कार्ड बनाते हैं और इस उद्देश्य के लिए उनकी व्याख्या करते हैं।
अंक ज्योतिष को अंक विद्या या अंक शास्त्र के नाम से भी जाना जाता है। अंक शास्त्र में नौ ग्रहों सूर्य, चन्द्र, गुरू, यूरेनस, बुध, शुक्र, वरूण, शनि और मंगल को आधार बनाकर उनकी विशेषताओं के आधार पर व्यक्ति के भविष्य के बारे में गणना की जाती है।
4 मार्च, शुक्रवार को फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि है। इस दिन फुलेरा दूज का पर्व मनाया जाएगा। शुक्रवार को सूर्योदय उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में होगा, जो दिन भर रहेगा। शुक्रवार को उत्तराभाद्रपद नक्षत्र होने से ध्वज नाम का शुभ इस दिन बन रहा है।
आज (6 जून) ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि रहेगी। सोमवार को सूर्योदय मघा नक्षत्र में होगा, जो पूरे दिन रहेगा। सोमवार को मघा नक्षत्र होने से ध्वांक्ष नाम का अशुभ योग इस दिन बन रहा है।
Sharadiya Navratri 2022: शारदीय नवरात्रि के नौवें और अंतिम दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। ये देवी सभी सिद्धियां प्रदान करने वाली हैं। इसलिए इनका नाम सिद्धिदात्री है। इस बार इनकी पूजा 4 अक्टूबर, मंगलवार को की जाएगी।
टैरो कार्ड द्वारा व्यक्ति अपने भूत, वर्तमान व भविष्य के अनेक पहलुओं जैसे- स्वास्थ्य, शिक्षा, करियर, वैवाहिक जीवन, व्यापार, माता-पिता व अन्य रिश्तों के बारे में जान सकता है। वास्तव में चित्रों के माध्यम से भविष्य जानने की कला है।
किताबों में आपने पढ़ा होगा कि दुनिया के पहले पोस्टल स्टांप की शुरुआत 1840 में इंग्लैंड में हुई थी। लेकिन एक रिसर्च में किए गए दावे के सामने इतिहास की यह बात फीकी सी लगती है। चलिए आपको नेशनल पोस्टल वर्कर डे में इस बात की जानकारी देते हैं कि विश्व का पहला पोस्टल स्टांप भारत में कहां बना था।