कुछ ज्योतिषीय उपायों में वनस्पतियों जैसे- पौधों की जड़, टहनी व लकड़ी आदि का भी प्रयोग किया जाता है।
हिंदू धर्म में भगवान श्रीगणेश को प्रथम पूज्य माना गया है अर्थात सभी मांगलिक कार्यों में सबसे पहले श्रीगणेश की ही पूजा की जाती है। श्रीगणेश की पूजा के बिना कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता।
धर्म ग्रंथों के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश का जन्म हुआ था। इसीलिए इस चतुर्थी को विनायक चतुर्थी, सिद्धिविनायक चतुर्थी और श्रीगणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है।
रुद्राक्ष भगवान शंकर के स्वरूप से जुड़ा है। भगवान शंकर के उपासक इन्हें माला के रूप में पहनते हैं।
हिंदू धर्म में हाथी को बहुत ही पवित्र और शुभ माना गया है। हाथी को भगवान श्रीगणेश का प्रतीक मानकर पूजा की जाती है।
इस बार 2 सितंबर, सोमवार को गणेश चतुर्थी है। भगवान श्रीगणेश के जन्म की कथा जितनी रोचक है, उनके शरीर की बनावट भी उतनी ही रहस्यमयी है।
इस गणेश मंदिर में हर समय भगवान के चरणों में चिट्ठियों और निमंत्रण पत्रों का ढेर लगा रहता है।
इस बार गणेश चतुर्थी (2 सितंबर, सोमवार) पर शुक्ल, रवियोग और चतुर्ग्रही शुभ योग बन रहे हैं।
किसी भी शुभ काम का शुभारंभ श्रीगणेश के पूजन के बाद ही होता है। इनकी पूजा से हमारे सारे काम बिना किसी बाधा से पूरे हो जाते हैं।
श्रीगणेश की पूजा अनेक रूपों में की जाती है, उनमें से एक रूप है श्वेतार्क गणेश। ज्योतिष व तंत्र उपायों में भी श्वेतार्क गणेश का विशेष महत्व है।