हाल के कुछ सालों में चीन भारत को कई तरह से घेरने की तैयारी में लगा हुआ है। चीन को लगता है कि भारत जिस तेजी से आगे बढ़ रहा है कही न आने वाले समय में भारत उसे पीछे छोड़ दे।
हाल ही में भारत और चीन के बीच कोर कमांडर लेवल पर 19वें राउंड की बातचीत हुई है। सूत्रों की मानें तो दोनों देशों के बीच मीलिट्री वार्ता काफी पॉजिटिव रही है। इस दौरान विवाद सुलझाने पर भी सहमति बनी है।
भारतीय इकोनॉमी दुनिया की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्था में से एक है। कुछ सालों में जिस तरह से विदेशी कंपनियों ने भारत में निवेश किया है, उससे भारतीय अर्थव्यवस्था और मजबूत हुई है। सॉवरेन इन्वेस्टर्स को लेकर इन्वेस्को की स्टडी में ये बात सामने आई है।
सूत्रों की मानें तो उत्तराखंड के अपोजिट मिडिल सेक्टर को एयर कनेक्टिविटी से जोड़ने के लिए काम कर रहा है। चीन की तरफ से सड़कें और हेलीपैड्स तैयार किए जा रहे हैं।
दूसरे देशों में जाकर फिर चीन की यात्रा करना अत्यधिक महंगा भी है। भारतीय यात्री इस समय श्रीलंका, नेपाल और म्यांमार के रास्ते चीन की यात्रा कर रहे हैं जिसके लिए हवाई किराए में भारी भरकम राशि खर्च की जा रही है।
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने कहा कि चीन ने 1993 और 1996 के समझौते का उल्लंघन किया है। चीन ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर भारी संख्या में सैनिक तैनात किए हैं।
भारत-चीन के बीच एलएसी को लेकर काफी दिनों से विवाद चला आ रहा है। कई स्तर पर दोनों पक्षों में एक दर्जन से अधिक बार वार्ता हो चुकी है लेकिन सारी मीटिंग्स बेनतीजा ही रहीं।
भारत और चीन के बीच एलएसी पर चल रही तनातनी को लेकर अमेरिका ने कहा है कि वह इस पर नजर रखे हुए है। अमेरिका के राष्ट्रपति के कार्यालय व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने सोमवार को कहा कि भारत-चीन सीमा विवाद पर अमेरिका की करीबी नजर है।
भारत-चीन अपने सीमा विवाद को निपटाने के लिए 14वें राउंड की वार्ता करेंगे। 12 जनवरी को होने वाली यह वार्ता चुसुल-मोल्दो प्वाइंट पर रखी गई है।
बीआरओ इस सड़क का निर्माण कर रहा है। करीब 65 किलोमीटर लंबी इस सड़क को अब माना जा रहा है कि 2023 तक पूरा कर लिया जाएगा। हालांकि, 2012 से बन रही इस सड़क को पूर्ण करने का लक्ष्य 2015 तक रखा गया था।