अयोध्या में राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद ने भारतीय जनता पार्टी के चुनाव की कमान संभाल ली है। चुनाव आयोग की नजरों से बचने के लिए कार्यक्रम को मतदाता जागरूकता अभियान से जोड़ दिया गया है।
बरेली मंडल की बदायूं जिले की बिल्सी विधानसभा को साल 1996 के चुनाव में बसपा प्रमुख मायावती के जीतने की वजह से वीआईपी सीट मानी जाती है लेकिन इस चुनाव में यहां से बसपा त्रिकोणीय मुकाबले में फंसी हुई है।
अयोध्या जिले की पांचों विधानसभा में कांग्रेस पार्टी सोशल इंजीनियरिंग का नया शोध कर रही है। पार्टी यह जानती है कि प्रत्यक्ष रूप से वो कहीं भी सीधे तौर पर लड़ाई में नहीं दिख रही। इसलिए पुराने ट्रेंड से हटकर पार्टी नए जमाने के साथ चलने की कोशिश में है।
महाराजगंज जिले की सबसे हॉट सीट नौतनवा में इस बार मुकाबला त्रिकोणीय होने की पूरी संभावना है। जबकि अभी तक इस सीट पर पूर्व विधायक कौशल किशोर सिंह और अमन मणि त्रिपाठी के बीच कड़ी टक्कर होती रही है। ऋषि त्रिपाठी को नौतनवा विधानसभा में जनता का समर्थन मिल रहा हैं।
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए भारतीय जनता पार्टी ने घोषणा पत्र जारी कर दिया हैं। जिसमें आजमगढ़ जिले में एटीएस कमांडो यूनिट तैयार करने की बात कही हैं। ताकि वह आजमगढ़ जिले सहित पूर्वांचल के कई जगहों पर अपनी नजरें गड़ाए रख सकती हैं।
गोरखपुर जिले में सभी प्रमुख पार्टियों ने प्रत्याशी घोषित कर दिए। अब कुर्सी की लड़ाई के लिए गोरखपुर की 9 विधानसभा में प्रत्याशी जी जान से लग गए हैं। गोरखपुर की विधानसभा में कई नेता जीत की हैंट्रिक लगाना चाह रहे हैं।
उत्तर प्रदेश 2022 के चुनाव का आगाज हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिनों में कानपुर-बुंदेलखंड में दो जनसभाओं को संबोधित करेंगे। पीएम 12 फरवरी को कन्नौज की तिर्वां में रैली करेंगे। इसके बाद 14 फरवरी को कानपुर देहात के अकबरपुर में सभा करेंगे।
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा सरकार में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य अपने साथ कई विधायकों को लेकर एसपी में शामिल हुए थें। जिसमें कानपुर से बीजेपी विधायक भगवती सागर का भी नाम भी शामिल था। एसपी ने भगवती सागर को घाटमपुर सीट से प्रत्याशी बनाया है। लेकिन भगवती सागर की राह आसान नहीं हैं। घाटमपुर सीट पर अपना दल से कड़ी टक्कर मिल रही हैं।
यूपी चुनाव से पहले आजमगढ़ में परिस्थितियां बदलती हुई दिख रही हैं। समाजवादी पार्टी ने जिस तरह से प्रत्याशियों की घोषणा की और पार्टी के पुराने लोगों ने जिस तरह से बगावत शुरू कि उसे देख कर ऐसा लग रहा है कि पार्टी के यह बगावती लोग समाजवादी पार्टी को भारी झटका दिलवा सकते हैं।
विधानसभा चुनाव में अयोध्या सदर की सीट हमेशा से भारतीय जनता पार्टी के खाते में जाती रही है। क्षेत्र में बीजेपी की फील्डिंग इतनी मजबूत है कि 31 साल में केवल एक बार ही बोल्ड हुई है। राम मंदिर आंदोलन के समय से बीजेपी ने यहां ऐसा स्टंप गाड़ा कि विपक्षी टीम खिलाड़ियों को बोल्ड करने में हाँफती रही है।