Shani Rashifal 2024: ग्रंथों में शनिदेव के 7 वाहनों के बारे में बताया गया है। इसके अलावा शनिदेव के अन्य वाहन भी हैं। शनिदेव जिस वाहन पर सवार होकर किसी राशि में प्रवेश करते हैं, उसी के अनुसार, उस राशि के लोगों को शुभ-अशुभ फल प्राप्त होते हैं।
Kumbh Rashi Ke Liye Saal 2024 Kaisa Rahega: कुंभ राशि के स्वामी शनिदेव हैं। इन पर आसानी से विश्वास नहीं किया जा सकता है। ये अपने स्वार्थ के आगे कुछ भी नहीं सोचते। जानिए साल 2024 कुंभ राशि वालों के लिए कैसा रहेगा?
Kumbh Sankranti 2023: 13 फरवरी, सोमवार को सूर्य मकर से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेगा। इसे कुंभ संक्रांति कहा जाएगा। ये दिन सूर्यदेव की पूजा और स्नान-दान के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं।
Shani Rashifal 2023: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, किसी भी व्यक्ति की राशि से शनि जब बारहवें या उसकी स्वयं की राशि में या राशि से दूसरे स्थान पर हो तो इसे शनि की साढ़ेसाती कहते हैं। इस दौरान व्यक्ति को अपने परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
Kumbh Rashi Ka Naya Saal Kaisa Rahega: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंभ राशि का स्वामी शनि है। कुंभ राशि वाले लोग आत्ममुग्ध होते हैं। ये सबसे पहले अपने बारे में ही सोचते हैं। ये अधिक परिश्रम करना पसंद नहीं करते। दूसरों के ऊपर निर्भर रहकर ही अधिकांश समय व्यतीत करते हैं।
ग्रहों का न्यायाशीध कहा जाने वाला ग्रह शनि 29 अप्रैल, शुक्रवार को राशि बदलकर मकर से कुंभ राशि में प्रवेश कर चुका है। शनि एक राशि में ढाई साल तक रहता है। इसी क्रम में शनि 30 साल बाद कुंभ राशि (Shani in Kumbh Rashi) में आया है।
13 फरवरी, रविवार को सूर्य मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेगा। सूर्य के कुंभ राशि में प्रवेश करने को कुंभ संक्रांति कहा जाएगा। ज्योतिषियों के अनुसार, कुंभ लग्न में संक्रांति (Kumbh Sankranti 2022) का पुण्यकाल होना शुभ रहेगा।
उत्तराखंड के हरिद्वार में चल रहे कुंभ में भी कोरोना ने अपने पैर पसार लिए हैं। दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक कंभ में बुधवार को सैकड़ों लोग संक्रमित पाए गए। अफसरों के मुताबिक, बड़ी संख्या में श्रद्धालु ना मास्क का इस्तेमाल कर रहे हैं और ना ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं।
जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी पूजा अर्चना करने के बाद शाही स्नान के दिन सबसे पहले गंगा में स्नान के लिए जाएंगे। इसके बाद ही अखाड़े के नागा संन्यासियों के आलवा अन्य संत एक साथ स्नान करेंगे।