अक्सर लोग दूसरों को स्वयं से कमतर या मूर्ख समझते हैं। उन्हें लगता है संसार में वे ही सबसे ज्ञानी हैं बाकी लोगों में तो समझ ही नहीं है। लेकिन ऐसा होता नहीं है। कुछ लोग अपने ज्ञान का प्रदर्शन नहीं करते और चुपचाप अपने कार्य की प्रगति में लगे रहते हैं।
जो लोग ईमानदार हैं, उन्हें देर ही सही, लेकिन सफलता जरूरत मिलती है। इसीलिए इस गुण को छोड़ना नहीं चाहिए, बेईमानी से कुछ पलों का लाभ मिल सकता है, लेकिन भविष्य में इसकी वजह से परेशानियां जरूर होती हैं।
कई बार अज्ञानता का कारण हम अकारण ही डर जाते हैं और दूसरों को भी डरा देते हैं। किसी भी बात की निष्कर्ष निकालने से पहले अच्छी तरह सोच-विचार करें और इसके बाद ही किसी को बताएं। हम सभी को ऐसा करने से बचना चाहिए और सोच-समझकर ही कोई निर्णय लेना चाहिए।
कभी-कभी हम हम किसी की आधी-अधूरी बात सुनकर बहस करने लगते हैं। खुद को सही साबित करने में लगे होते हैं, जबकि एक सिक्के के कई पहलू होते हैं। हो सकता है कि हमने सिर्फ एक ही पहलू देखा हो। सच को पूरा जानने के लिए दूसरे पहलू को भी देखना जरूरी होता है।
कुछ लोग हमेशा अपनी ही समस्याओं में उलझे रहते हैं। जबकि उन्हें पता होता है कि वो पास खड़े व्यक्ति की मदद करके उसकी परेशानी आसानी से दूर कर सकते हैं। ऐसा करने से संभव है कोई दूसरा व्यक्ति आपकी मदद करने को तैयार हो जाए और आपकी परेशानी भी दूर हो सके।
हमारे आस-पास ऐसे अनेक लोग होते हैं जो सिर्फ लोगों की गलतियां निकालने में ही विश्वास रखते हैं। ऐसे लोग अच्छे से अच्छे काम में भी सिर्फ बुराई ही ढूंढते हैं। ऐसे लोगों से जितना हो सके दूर ही रहना चाहिए। और हमें भी ऐसी गलती नहीं करनी चाहिए।
कुछ लोग अपने काम को बोझ समझते हैं और किसी भी तरह उसे टालने की कोशिश करते हैं। या करते भी हैं तो बहुत ही खराब तरीके से। जबकि वो काम बोझ नहीं बल्कि उनकी जिम्मेदारी होती है। अपने काम के प्रति कभी गैर जिम्मेदार नहीं होना चाहिए।
कई लोग थोड़ी सी सफलता पाकर खुद को सर्वज्ञाता समझने की भूल करते हैं और सीखना छोड़ देते हैं। आगे जाकर इसी वजह से उन्हें असफलता का मुंह देखना पड़ता है। क्योंकि इस दौड़ में जीतता वही है, जो लगातार दौड़ता रहता है।
लोगों की आदत होती है कि अक्सर वे दूसरों की बुराई पहले देखते हैं और अच्छाइयों को नजरअंदाज कर देते हैं। साथ ही साथ वे उन बुराइयों के बारे में लोगों को भी बताते हैं जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए। किसी इंसान की बुराई परिस्थितिवश भी हो सकती है।
कई बार हम इतने आराम पसंद हो जाते हैं कि भविष्य में आने वाली मुसीबतों का सामना करने के लिए तैयार ही नहीं हो पाते या फिर अपनी क्षमताओं को खो देते हैं। यही कारण है कि जब अचानक कोई मुसीबत हम पर आती है तो हम संभल भी नहीं पाते और दुर्दशा का शिकार हो जाते हैं।