इस आयोजन में सामाजिक संगठनों, छात्र और दूसरे धर्मों से जुड़े लोगों को भी जोड़ा गया। कई समितियों का गठन किया गया। क्षिप्रा नदी के किनारे एक हजार दीपक लगाकर इसका बकायदा रिहर्सल भी किया गया। प्रशासन की तरफ से ऐसी प्लानिंग बनाई गई है ताकि एक आदमी कम से कम 100 दीये लगा सके।