ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला व भीमसेनी एकादशी कहते हैं। इस बार ये तिथि 2 जून, मंगलवार को है। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस व्रत में भोजन करना और पानी पीना वर्जित है।
हिंदू धर्म में अनेक व्रत व उपवास किए जाते हैं। उन सभी में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अचला व अपरा एकादशी कहते हैं। इस बार यह व्रत 18 मई, सोमवार को है।
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी कहते हैं। धर्मशास्त्रों के अनुसार, यह तिथि सब पापों को हरने वाली और उत्तम है।
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत अधिक महत्व है। हर एकादशी का अपना विशिष्ठ नाम व महत्व धर्म ग्रंथों में लिखा है। इसी क्रम में वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहते हैं। इस बार यह एकादशी 18 अप्रैल, शनिवार को है।
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहते हैं। कामदा एकादशी को भगवान श्रीविष्णु का उत्तम व्रत कहा गया है।
चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचनी एकादशी कहते हैं। यह एकादशी सभी पापों का नाश करने वाली है। इस बार यह एकादशी 20 मार्च, शुक्रवार को है।
फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी कहते हैं। यह एकादशी सभी पापों का नाश करने वाली मानी गई है।
फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहते हैं। इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस बार ये एकादशी 19 फरवरी, बुधवार को है।
माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी कहते हैं। धर्म शास्त्रों में इसे अजा व भीष्म एकादशी भी कहा गया है। इस बार ये एकादशी 5 फरवरी, बुधवार को है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षट्तिला एकादशी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस बार यह एकादशी 20 जनवरी, सोमवार को है।