आचार्य चाणक्य को न केवल किताबी विषयों का बल्कि जीवन की अच्छी और बुरी दोनों तरह की परिस्थितियों का अनुभव था। वे एक श्रेष्ठ विद्वान और महान विभूति थे। इसी के साथ वे एक योग्य शिक्षक भी थे।
आचार्य चाणक्य एक श्रेष्ठ विद्वान थे। अर्थशास्त्र की रचना करने के कारण उन्हें कौटिल्य भी कहा जाता है। आचार्य चाणक्य ने विश्वप्रसिद्ध विश्वविद्यालय तक्षशिला से शिक्षा ग्रहण की और वहीं पर शिक्षक भी हुए।
आचार्य चाणक्य एक महान विद्वान थे। उन्होंने चाणक्य नीति शास्त्र में अपने अनुभवों और विचारों को नीतियों के रूप में संकलित किया है। इसमें न केवल व्यक्ति बल्कि समाज कल्याण के लिए बहुमूल्य बातें हैं।
भारत के इतिहास में आचार्य चाणक्य का महत्वपूर्ण स्थान है। एक समय जब भारत छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित था और विदेशी शासक सिकंदर भारत पर आक्रमण करने के लिए सीमा तक आ पहुंचा था, तब चाणक्य ने अपनी नीतियों से भारत की रक्षा की थी।
आचार्य चाणक्य द्वारा लिखित नीति शास्त्र में जीवन के कई क्षेत्रों से जुड़ी हर समस्या का समाधान बताया गया है। इतने वर्षों के बाद भी नीति शास्त्र की बातें आज भी लोगों के बीच लोकप्रिय हैं।
आचार्य चाणक्य के अनुसार मनुष्य के जीवन में शिक्षा का बहुत महत्व होता है। जिस व्यक्ति के पास धन और ज्ञान दोनों होते हैं, वह हर परिस्थिति से निकलने में सक्षम होता है।
आचार्य चाणक्य अर्थशास्त्र, कूटनीति और राजनीति में कुशल थे। इनके द्वारा कई महत्वपूर्ण शास्त्र लिखे गए, जिसमें से नीतिशास्त्र की बातें आज भी प्रासंगिक हैं।
आचार्य चाणक्य के अनुसार, हर व्यक्ति के जीवन में जन्म देने वाली मां का स्थान सबसे ऊपर होता है क्योंकि मां अपने बच्चे की खुशी और सुरक्षा के लिए कुछ भी न्यौछावर करने को तैयार रहती है।
जीवन में समय कभी एक जैसा नहीं रहता। कभी सुख तो कभी दुख जीवन में आते रहते हैं। जीवन में परेशानियां आती-जाती रहती हैं। कुछ लोग परेशानी के समय अपना विवेक खो देते हैं, जिस कारण उन्हें अधिक नुकसान होता है।
आचार्य चाणक्य ने स्त्रियों के साथ राजा और विद्वान ब्राह्मण की ताकत के बारे में बताया है। उन्होने नीति शास्त्र के सातवें अध्याय के ग्यारहवें श्लोक में स्त्रियों को ताकतवर बताया है। उनके अनुसार स्त्रियां अपनी इच्छानुसार कुछ भी कर सकती हैं और वो जो चाहे दूसरों से करवा सकती हैं।