हाॅन जुंवेई के पास बांग्लादेश का वीजा और चीनी पासपोर्ट मिला था। साथ ही एक लैपटाॅप, तीन मोबाइल, कुछ इलेक्ट्रानिक गैजेट्स भी मिले थे। चाइनीज नागरिक के पास बांग्लादेश, भारत की काफी अधिक करेंसी के अलावा यूएस डाॅलर भी मिला था।
भारत में कोरोना वायरस के खिलाफ अब तक 24 करोड़ से ज्यादा डोज लग चुकी हैं। यह जानकारी स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को दी। चीन के बाद सबसे तेज वैक्सीनेशन के मामले में भारत दूसरे नंबर पर है। बताया जा रहा है कि चीन में अब तक 80 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है।
चीन के विशेषज्ञ जयदेव रानाडे ने Asianet Newsable से बातचीत में बताया कि क्यों बीजिंग को भारत के साथ एक समान मंच पर बातचीत शुरू करनी होगी और उसके बाद ही चीजों के आगे बढ़ने की उम्मीद होगी।
हडसन इंस्टीट्यूट के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट लुईस लिब्बी और पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ द्वारा लिखे लेख में कहा गया है कि कई सबूत सामने आए हैं जो बताते हैं कि चीन 2019 के अंत से लेकर 2020 की शुरुआत तक दुनिया को कोरोनावायरस के बारे में सूचित करने में विफल रहा।
15-16 जून, 2020 की रात गलवान में पीएलए ने जो किया, उसे करने का कोई कारण नहीं था। शायद यह जानबूझकर चल रहे गतिरोध को थोड़ा उच्च स्तर की घातकता देने के लिए उकसाया गया था ताकि घरेलू स्तर पर गंभीरता का कुछ संकेत दिया जा सके।
भारत में 2-18 आयु वर्ग के बच्चों के लिए COVAXIN के दूसरे और तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के बीच चीन से एक खबर आई है। यहां 3-17 साल तक के बच्चों के लिए सिनोवैक बायोटेक की कोरोना वैक्सीन के इमरजेंसी अप्रूवल को मंजूरी दे दी गई है। ऐसा करने वाला चीन पहला देश बन गया है। हालांकि वैक्सीनेशन कब से शुरू होगा, इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं हुई है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को जिम्मेदार नेता बताया। साथ ही उन्होंने कहा, दोनों नेता भारत और चीन के बीच मुद्दों को निपटाने की क्षमता रखते है। उन्होंने कहा, यह अहम है कि इस प्रक्रिया में किी भी अन्य क्षेत्रीय शक्ति को इसमें दखल नहीं देना चाहिए।
चीन ने इन आरोपों को एक सिरे से खारिज कर दिया है, जिसमें कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस वुहान की लैब में बना था। पिछले दिनों वाशिंगटन पोस्ट ने अमेरिका के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. एंथोनी फाउची के एक ईमेल का खुलासा किया था, जिसमें बताया गया कि वे संक्रमण के शुरुआती महीनों में चीनी वैज्ञानिकों के संपर्क में थे।
कोरोना वायरस फैलाने के पीछे क्या चीन का हाथ था, इसे लेकर बहस तेज हो गई है। इसी बीच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर चीन पर हमला बोला है। उन्होंने कहा, मेरे दुश्मनों ने भी यह कहना शुरू कर दिया है कि मैं वुहान लैब से निकले चीनी वायरस के बारे में सही थे।
डब्ल्यूएचओ ने चीन की सिनोवैक बायोटेक को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए अपनी अप्रूवल लिस्ट में शामिल किया है। विशेषज्ञों के अनुसार सिनोवैक को 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को लगाया जाएगा।