सार

चीन ने इन आरोपों को एक सिरे से खारिज कर दिया है, जिसमें कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस वुहान की लैब में बना था। पिछले दिनों वाशिंगटन पोस्ट ने अमेरिका के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. एंथोनी फाउची के एक ईमेल का खुलासा किया था, जिसमें बताया गया कि वे संक्रमण के शुरुआती महीनों में चीनी वैज्ञानिकों के संपर्क में थे।

बीजिंग. दुनियाभर में हाहाकार मचाने वाले कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर चीन को दोषी ठहराया जा रहा है। अभी तक यही माना जा रहा है कि कोरोना वायरस चीन के वुहान में लैब में तैयार किया गया। हालांकि अभी तक इसके खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं, लेकिन यह मामला इन दिनों फिर से गर्म है। वाशिंगटन पोस्ट ने अमेरिका के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. एंथोनी फाउची के एक ईमेल का खुलासा किया है, जिसमें बताया गया कि वे संक्रमण के शुरुआती महीनों में चीनी वैज्ञानिकों के संपर्क में थे। इस खुलासे के बाद चीन अपनी सफाई देने आगे आया है। शुक्रवार को चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने शुक्रवार को एक प्रेस कान्फ्रेंस इन सभी आरोपों को खारिज कर दिया। उन्होंने इसे एक साजिश बताया। बता दें कि डॉ. एंथोनी डोनाल्ड ट्रम्प के कार्यकाल से अब तक अमेरिकी राष्ट्रपति के शीर्ष स्वास्थ्य सलाहकार हैं।

वांग ने WHO के सदस्य का जिक्र किया
वांग ने विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) के एक गैर सरकारी और गैर लाभकारी संगठन ईकोहेल्थ एलायंस के अध्यक्ष पीटर दासजक ने एक CNN को दिए इंटरव्यू में कहा था कि इसके कोई सबूत नहीं है कि वायरस लैब में बना है। इसलिए वे उम्मीद करते हैं कि लैब लीक थ्योरी फैलाने वाले व्यक्ति और मीडिया इस बात को गंभीरता से लेंगे।

866 पन्नों का ईमेल हुआ था लीक
अमेरिकी मीडिया वॉशिंगटन पोस्ट ने दावा किया था कि उसे 866 पन्नों का एक लीक ईमेल मिला है। यह 28 मार्च 2020 को चाइनीज सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के निदेशक जॉर्ज गाओ ने डॉ फाउची को किया था। मेल में गाओ नेफाउची से अमेरिका में लोगों को मास्क पहनने के लिए प्रेरित नहीं करने के लिए माफी मांगी गई थी। गाओ ने अमेरिका को चेताया था कि वो अपने लोगों को मास्क नहीं पहनने के लिए कहकर गलती कर रहा है।

अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री ने भी किया था दावा
अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने भी कहा था कि मौजूदा सबूत ये संकेत देते हैं कि कोरोना वायरस चीन की वुहान लैब से निकला है। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी है कि इस क्षेत्र से उत्पन्न होने वाले जैव-हथियारों और जैव-आतंक का जोखिम वास्तविक है।

चीन पर लगातार उठ रहे सवाल
कोरोना का पहला केस 2019 में चीन के वुहान में सामने आया था। इसके बाद कोरोना का कहर पूरी दुनिया में जारी है। इन सबके बीच बार बार एक सवाल उठता रहा है कि क्या कोरोना फैलाने में चीन का हाथ हैं। 

ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने लगाए आरोप
हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के द वीकेंड ऑस्ट्रेलियन ने चीन के एक रिसर्च पेपर को आधार बनाकर रिपोर्ट छापी थी। इसमें दावा किया गया था कि चीन पिछले 6 साल से सार्स वायरस की मदद से जैविक हथियार बनाने की कोशिश कर रहा था। रिपोर्ट में कहा गया है, चीनी वैज्ञानिक 2015 में ही कोरोना के अलग-अलग स्ट्रेन पर चर्चा कर रहे थे। चीनी वैज्ञानिक ने कहा था कि तीसरे विश्वयुद्ध में इसे जैविक हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाएगा। इतना ही नहीं वैज्ञानिकों ने इस बात पर भी चर्चा की थी कि इसे कैसे महामारी के तौर पर बदला जा सकता है।

पहले भी लग चुके चीन पर आरोप 
चीन पर कोरोना वायरस फैलाने का आरोप पहली बार नहीं लगा। इससे पहले पिछले साल अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कई बार चीन पर कोरोना वायरस फैलाने का आरोप लगाया था। उन्होंने इसे चीनी वायरस तक कहा था। अमेरिका के अलावा यूरोप के तमाम देशों ने भी चीन पर कोरोना फैलाने को लेकर गंभीर आरोप लगाए थे। हाल ही में ब्राजील के राष्ट्रपति ने भी कोरोना वायरस के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया था।

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