रतन टाटा की दरियादिली और सरलता के किस्से आम हैं। यह मामला भी चौंकाता है। आमतौर पर कंपनी के मालिकों और उनके कर्मचारियों के बीच रिश्ते प्रोफेशनल होते हैं। अगर कर्मचारी नौकरी छोड़कर चला जाता है, तो मालिक शायद ही उसे याद करें। लेकिन रतन टाटा अपने पूर्व कर्मचारी की बीमारी की खबर सुनकर मुंबई से पुणे उससे मिलने जा पहुंचे।