Shani Rashifal 2023: लोह धातु यानी लोहे पर भी शनिदेव का प्रभाव माना गया है। इसलिए शनिदेव की पूजा में हमेशा लोहे के बर्तनों का इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसा करना शुभ माना गया है और इससे शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं।
Shani Rashifal 2023: धर्म ग्रंथों में शनिदेव के परिवार के बारे में भी विस्तार पूर्वक बताया गया है। इसके अनुसार, सूर्य की पत्नी संध्या की छाया से शनिदेव का जन्म हुआ था। यमराज, यमुना, भद्रा और अश्विनी कुमार ये सभी शनिदेव के भाई-बहन हैं।
Shani Rashifal 2023: ज्योतिष शास्त्र में शनि के अनेक नाम बताए गए हैं जैसे मन्दगामी, सूर्य-पुत्र, शनिश्चर और छायापुत्र आदि। इन सभी नामों से शनिदेव की पूजा की जाती है। शनि के नक्षत्र हैं पुष्य, अनुराधा और उत्तराभाद्रपद।
शनि ग्रह 12 जुलाई को वक्री चाल यानी टेढ़ी चाल चलते हुए मकर राशि में प्रवेश (Shani rashi parivartan 2022) करेगा। शनि के इस राशि परिवर्तन का असर सभी लोगों पर दिखाई देगा। किसी के लिए ये शुभ रहेगा तो किसी के लिए अशुभ।
ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती (Shani Jayanti 2022) का पर्व मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार, इसी तिथि पर भगवान शनिदेव का जन्म हुआ था। इस बार ये तिथि 30 मई, सोमवार को है।
धर्म ग्रंथों में शनिश्चरी अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है। इस बार ये शुभ योग 30 अप्रैल को बन रहा है। इसी दिन सूर्यग्रहण भी होगा, लेकिन ये भारत में नही दिखाई देगा। शनिश्चरी अमावस्या पर सूर्यग्रहण का होगा दुर्लभ संयोग है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हर ग्रह एक निश्चित समय पर राशि परिवर्तन करता है। इनमें सबसे तेज गति चंद्रमा की होती है जो हर सवा दो दिन में राशि बदलता है तो सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह शनि है, जो ढाई साल में एक बार राशि बदलता है।
आज (4 दिसंबर, शनिवार) अगहन महीने की अमावस्या है। इस दिन शनिवार होने से इसका फल और बढ़ गया है। इसे शनैश्चरी या शनिचरी अमावस्या (Shanishchari Amavasya 2021) कहा जाएगा। शनिवार को अमावस्या तिथि दोपहर करीब 1.15 तक रहेगी।
ज्योतिष में शनिदेव (Shanidev) को मारक ग्रह माना गया है। शनि सभी ग्रहों में सबसे ज्यादा धीमी चाल से चलने वाले ग्रह हैं, जिस कारण इनका प्रभाव लंबे समय तक बना रहता है। शनि लगभग ढ़ाई साल में एक बार राशि परिवर्तन करते हैं।
ज्योतिष शास्त्र में शनि को न्यायाधीश कहा जाता है। इसके अनुसार मनुष्य को उसके अच्छे-बुरे कर्मों का फल शनिदेव ही प्रदान करते हैं। सभी ग्रहों में शनिदेव सबसे ज्यादा मंद गति से चलने वाले ग्रह हैं। यह किसी एक राशि में लगभग ढाई वर्षों तक रहते हैं जिस कारण से ज्यादा समय तक राशियों पर इनका प्रभाव रहता है।