सार

ज्योतिष में शनिदेव (Shanidev) को मारक ग्रह माना गया है। शनि सभी ग्रहों में सबसे ज्यादा धीमी चाल से चलने वाले ग्रह हैं, जिस कारण इनका प्रभाव लंबे समय तक बना रहता है। शनि लगभग ढ़ाई साल में एक बार राशि परिवर्तन करते हैं।
 

उज्जैन. शनि (Shani) के राशि बदलते ही साढ़ेसाती (Sadesati) और ढय्या (dhaiya) का प्रभावों में परिवर्तन आ जाता है। जिस किसी पर भी शनि की साढ़ेसाती या आ जाती है उसे कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। व्यक्ति को आर्थिक, मानसिक, मान-सम्मान में गिरावट और असफलताएं मिलने लगती हैं। हालांकि जिन लोगों की कुंडली में शनि शुभ भाव में रहते हैं, साढ़ेसाती के दौरान उन्हें कम समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

30 साल में राशि चक्र पूरा करता है शनि
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि किसी एक राशि में दोबारा आने के लिए लगभग 30 वर्षों का समय लेते हैं क्योंकि शनि एक राशि में ढाई वर्ष तक रहते है इस प्रकार से सभी 12 राशियों के चक्कर लगाने के बाद दोबारा से उसी राशि में 30 वर्षों के बाद ही आते हैं।
- जब भी शनि का राशि परिवर्तन होता है तो किसी पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाती है तो किसी पर शनि की ढय्या। वहीं दूसरी तरफ कुछ राशियों को इससे मुक्ति भी मिल जाती है।
- शनि साल 2020 से मकर राशि में विराजमान हैं। ऐसे में अब उनका ढाई साल किसी एक राशि में पूरा होना जा रहा है। शनिदेव 29 अप्रैल 2022 को मकर से कुंभ राशि में प्रवेश कर जाएंगे।
- शनि के कुंभ राशि में परिवर्तन से कुछ राशियों पर शनि की मार पड़नी शुरू हो जाएगी तो कुछ को राहत भी मिल जाएगी।

शनि की साढ़ेसाती और ढय्या
- शनिदेव इस समय मकर राशि में मौजूद हैं, ऐसे में धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। इनके अलावा मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढय्या का प्रभाव है।
- 29 अप्रैल 2022 को जब शनि राशि परिवर्तन कर मकर से कुंभ में प्रवेश करेंगे तो धनु राशि पर से साढ़ेसाती का प्रभाव खत्म हो जाएगा और मीन राशि पर साढ़ेसाती का पहला चरण शुरू हो जाएगा। इनके अलावा कुंभ राशि पर साढेसाती का दूसरा और मकर पर अंतिम चरण शुरू होगा।
- शनि की ढय्या का प्रभाव मिथुन और तुला राशि से खत्म हो जाएगा और कर्क तथा वृश्चिक पर शुरू हो जाएगा।