Shraddh Paksha 2022: 10 सितंबर से शुरू हो पितृ पक्ष अब समाप्ति की ओर है। 25 सितंबर को अमावस्या पर अंतिम श्राद्ध किया जाएगा और इसी के साथ पितृ अपने लोक में लौट जाएंगे। श्राद्ध पक्ष के अंतिम 4 दिन बहुत ही खास हैं।
Shraddh Paksha 2022: पिंडदान अथवा तर्पण के लिए बिहार के गया जी को सबसे अच्छी जगह बताया गया है। मगर अब देश में कई और पवित्र स्थान हैं जहां पिंडदान और तर्पण किया जा रहा है। श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान का कार्य भाद्रपद महीने पूर्णिमा से ही शुरू हो जाते हैं।
हिंदू पंचांग में जो 12 महीने होते हैं, उनमें फाल्गुन सबसे अंतिम होता है। इस बार दो दिन फाल्गुन पूर्णिमा (Falgun Purnima 2022) है। फाल्गुन की पूर्णिमा तिथि 17 मार्च, गुरुवार को दोपहर लगभग 1.37 पर आरंभ होगी, जो शुक्रवार की दोपहर भगभग 12.30 तक रहेगी।
अभी पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2021) चल रहा है, जो 6 अक्टूबर तक रहेगा। इन दिनों में परिवार के मृत लोगों की मृत्यु तिथि पर तर्पण, पिंडदान आदि पुण्य कर्म किए जाते हैं। पितरों को प्रसन्न करने के लिए पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2021) में रोज तर्पण करना चाहिए।
हिंदू धर्म में मान्यता है कि मरने के बाद व्यक्ति की आत्मा को तब तक मुक्ति नहीं मिलती, जब तक उसका पिंडदान, तर्पण व श्राद्ध आदि नहीं हो जाता है। इन कार्यों के लिए कई प्रमुख तीर्थ स्थान हमारे देश में स्थित हैं। इन्हीं में से एक है महाराष्ट्र (Maharashtra) के खामगांव के निकट स्थित मेघंकर (Meghankar)।
श्राद्ध के दौरान जब भरणी नक्षत्र आता है तो उस तिथि का विशेष महत्व होता है। भरणी नक्षत्र में श्राद्ध होने से इसे महाभरणी श्राद्ध कहा जाता है। इस बार महाभरणी श्राद्ध 24 सितंबर, शुक्रवार को है। ग्रंथों में कहा गया है कि भरणी श्राद्ध का फल गया तीर्थ में किए गए श्राद्ध के समान ही है।
श्राद्ध पक्ष (Shradh Paksha 2021) शुरू हो चुका है। ये समय पितरों के प्रति प्रेम और श्रद्धा प्रकट करने का होता है। ऐसा माना जाता है कि इन दिनों हमारे पूर्वज किसी ना किसी रूप में धरती पर वापस आते हैं। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों के लिए पूजा-पाठ करते हैं और उनसे अपनी गलतियों से क्षमा मांगते हैं।
पूर्वजों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने का श्राद्ध पक्ष (Shradh Paksha 2021) इस बार 20 सितंबर से शुरू होगा। श्राद्ध पक्ष का समापन अश्विन मास की अमावस्या 6 अक्टूबर को होगा। श्राद्ध पक्ष को कनागत भी कहते हैं, जो 16 दिन तक चलते हैं। लेकिन इस बार श्राद्धपक्ष 17 दिन का होगा।
20 फरवरी, शनिवार को भीष्म अष्टमी है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने पर अपने प्राण त्यागे थे। उनकी स्मृति में यह व्रत किया जाता है।
हिंदू धर्म में श्राद्ध पक्ष को बहुत ही पवित्र समय माना गया है। इस बार 2 सितंबर से इसकी शुरूआत हो चुकी है। श्राद्ध पक्ष से कई परंपराएं भी जुड़ी हैं। लेकिन इन परंपराओं के पीछे का कारण बहुत कम लोग जानते हैं।