सार
हिंदू पंचांग में जो 12 महीने होते हैं, उनमें फाल्गुन सबसे अंतिम होता है। इस बार दो दिन फाल्गुन पूर्णिमा (Falgun Purnima 2022) है। फाल्गुन की पूर्णिमा तिथि 17 मार्च, गुरुवार को दोपहर लगभग 1.37 पर आरंभ होगी, जो शुक्रवार की दोपहर भगभग 12.30 तक रहेगी।
उज्जैन. फाल्गुन पूर्णिमा पर होलिका दहन किया जाता है, इसलिए ये कार्य 17 मार्च को किया जाएगा, लेकिन फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत 18 मार्च, शुक्रवार को किया जाएगा, क्योंकि ये उदया तिथि रहेगी। हालांकि ज्योतिषियों में इसको लेकर भी मतभेद है। फाल्गुन पूर्णिमा पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने और व्रत रखने की परंपरा है। इस दिन पितरों की शांति के लिए भी उत्तर कार्य किए जाते हैं। आगे जानिए इस तिथि से जुड़ी खास बातें…
ये भी पढ़ें- Holi 2022: होली के दूसरे दिन श्रीआनंदपुर साहिब में होता है होला मोहल्ला उत्सव, निहंग करते हैं शक्ति प्रदर्शन
इस विधि से करें भगवान श्रीकृष्ण की पूजा
- सूर्योदय से पहले उठकर पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे डालकर नहा लें। इसके बाद श्रीकृष्ण पूजा और दिनभर व्रत रखने का संकल्प लें।
- फिर घर या मंदिर में जाकर शुद्ध पानी से भगवान की मूर्ति पर जल चढ़ाएं। फिर ताजा दूध, इसके बाद पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए।
- ऐसा करते हुए क्लीं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करना चाहिए। अभिषेक के बाद में कृष्ण भगवान को चंदन, अक्षत, मौली, अबीर, गुलाल, इत्र, तुलसी और जनेऊ के साथ ही सभी पूजन सामग्री चढ़ाएं।
- इसके बाद पीला वस्त्र पहनाएं और मक्खन में मिश्री मिलाकर भगवान को भोग लगाएं। फिर आरती करें और श्रद्धा अनुसार जरूरतमंद लोगों को दान दें।
ये भी पढ़ें- Holi 2022: बना रहे रिश्तों का सम्मान, इसलिए बुजुर्गों को लगाएं ये खास रंग, प्रेम जताने के लिए ये रंग लगाएं
फाल्गुन पूर्णिमा का महत्व
- फाल्गुन हिंदू पंचांग का आखिरी महीना होता है। इसलिए इस पूर्णिमा पर स्नान-दान, व्रत, श्राद्ध और पूजा-पाठ कर के इस हिंदू वर्ष को विदाई दी जाती है। साथ ही कामना की जाती है कि नया साल सुख और समृद्धि वाला हो।
- पुराणों के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा को मन्वादि तिथि भी कहा जाता है। यानि इस दिन दिया गया दान बहुत ही खास माना जाता है।
- इस दिन किए गए दान से अक्षय पुण्य फल मिलता है। इसलिए इस दिन तीर्थ स्नान और श्रद्धा के मुताबिक अन्न, जल, स्वर्ण या कपड़े का दान देने की परंपरा है।
- इस दिन श्राद्ध और ब्राह्मण भोजन करवाने से पितर संतुष्ट हो जाते हैं। कई जगहों पर इस दिन तर्पण और पिंडदान भी किया जाता है। इस दिन पितरों की पूजा करने से पितृ दोष कम होता है।
ये भी पढ़ें...
Holi 2022: हर रंग में छिपे हैं लाइफ मैनेजमेंट के खास सूत्र, जानिए हमसे क्या कहते हैं ये रंग
Holi 2022: मथुरा के इस गांव में धधकती हुई अग्नि के बीच चलकर निकलते हैं पंडाजी, 10 बार कर चुके हैं ये कारनामा
Holi 2022: बिजनेस-नौकरी के अनुसार इन खास रंगों से खेलें होली, किस्मत भी देने लगेगी आपका साथ
Holi 2022: शिवजी-कामदेव और श्रीकृष्ण-पूतना से भी जुड़ी है होली की परंपरा, जानिए कथाएं व रोचक बातें
Holi 2022: बरसाने में खेली जाती है लट्ठमार होली, कैसे शुरू हुई ये परंपरा, क्या आप जानते हैं ये खास बातें?