द्रौपदी मूर्मू अगर चुनाव जीतीं तो पहली बार होगा जब आदिवासी समुदाय से किसी को राष्ट्रपति बनने का मौका मिलेगा। वह देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होंगी। उनसे पहले दलित वर्ग से आने वाले केआर नारायणन और रामनाथ कोविंद इस पद पर पहुंचे हैं।
President Election 2022: संथाल जाति से ताल्लुक रखने वाली द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के ही रायरंगपुर से विधायक रह चुकी हैं। वह पहली ओडिया नेता हैं जिन्हें राज्यपाल बनाया गया। वह झारखंड की नौवीं राज्यपाल हैं।
President Election 2022: ओडिशा की रहने वाली 64 वर्षीय द्रौपदी मुर्मु ने करियर की शुरूआत सिंचाई विभाग में असिस्टेंट के रूप में की थी। बीए तक की शिक्षा हासिल करने वाली द्रौपदी मुर्मू की प्रारंभिक शिक्षा मयूरभंज में हुई। संथाल जाति से ताल्लुक रखने वाली द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के ही रायरंगपुर से विधायक रह चुकी हैं।
President Election 2022: प्रेसिडेंट रामनाथ कोविंद के उत्तराधिकारी के चुनाव के लिए मतदान 18 जुलाई को होगा। नामांकन प्रक्रिया 15 जून से शुरू हुई और 29 जून तक चलेगी। 30 जून को नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी।
नगड़ी गांव में एक कुएं में छठ पूजा होती है। मान्यता है कि जब पांडव जुए में अपना सारा राजपाट हार गए, तब द्रौपदी ने छठ का व्रत रखा था। जिससे प्रसन्न होकर सूर्यदेव ने उन्हें अक्षय पात्र दिया था। द्रोपदी के व्रत के फल से पांडवों को अपना राजपाट वापस मिल गया था।
केंद्र सरकार ने कोरोना के बीच सितंबर में NEET-JEE परीक्षा कराने का फैसला किया है। देशभर में तमाम विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं। अब भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी एग्जाम को लेकर सवाल खड़े किए। उन्होंने ट्वीट कर छात्रों की तुलना द्रौपदी से की है।
द्रौपदी महाभारत के सबसे अहम पात्रों में से एक थी। द्रौपदी को स्वयंवर में अर्जुन ने अपने पराक्रम से प्राप्त किया था फिर भी वह पांचों भाइयों (पांडवों) की पत्नी बनी। इसका कारण द्रौपदी के पिछले जन्म में शंकर भगवान द्वारा दिया गया वरदान था।
पांडव जब स्वर्ग जाने के लिए निकले तो रास्ते में ही द्रौपदी सहित भीम, अर्जुन, नकुल व सहदेव की मृत्यु हो गई। सिर्फ युधिष्ठिर ही सशरीर स्वर्ग जा पाए। ये बात हम सभी जानते हैं।
महाभारत की कथा जितनी रोचक है, उतनी ही रहस्यमयी भी है। इसके रचयिता महर्षि वेदव्यास हैं, लेकिन लेखक भगवान श्रीगणेश हैं। इसमें कई ऐसे पात्र भी हैं, जिनके बारे में कम हो लोग जानते हैं।
झांझ और ढोल की थाप पर संगीतमय माहौल में लोग झूम रहे, नाच रहे और खुशी का इजहार कर रहे हैं। पहाड़पुर गांव के स्थानीय मंदिर में पूजन-अर्चन चल रहा। बड़ी संख्या में महिलाएं, साड़ी जैसे पारंपरिक परिधान झेला पहनकर जश्न मना रहीं।