वर्तमान में पूरी दुनिया में भविष्य जानने की कई विधाएं प्रचलित है, इन्हीं में से एक है टैरो कार्ड्स। ये कार्ड दिखने में बिल्कुल ताश के पत्तों की तरह होते हैं। इन पर कई रहस्यमयी चिह्न बने होते हैं। इन्हीं के आधार पर भविष्यवाणी की जाती है।
6 अप्रैल, गुरुवार को चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि रहेगी। इस दिन हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाएगा। गुरुवार को पहले राक्षस और इसके बाद चर नाम का शुभ योग दिन भर रहेगा। इनके अलावा व्याघात और हर्षण नाम के 2 अन्य शुभ योग भी इस दिन रहेंगे।
18 मार्च, शनिवार को चैत्र कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है। इस दिन पापमोचनी एकादशी का व्रत किया जाएगा। शनिवार को श्रवण नक्षत्र होने से सुस्थिर नाम का शुभ योग दिन भर रहेगा। इनके अलावा सर्वार्थसिद्धि, शिव और सिद्ध नाम के 2 अन्य योग भी इस दिन रहेंगे।
Budh Gochar 2023: बुध ग्रह को सौरमंडल का राजकुमार कहा जाता है। ये ग्रह समय-समय पर राशि बदलता रहता है। इस बार ये ग्रह 16 मार्च, गुरुवार को राशि बदलकर कुंभ से मीन में आ चुका है। यहां सूर्य और गुरु ग्रह भी स्थित है।
Weekly Horoscope March 2023: आने वाला सप्ताह मार्च 2023 का तीसरा सप्ताह रहेगा। इस सप्ताह में शीतला सप्तमी, दशा माता पूजन और पापमोचनी एकादशी आदि पर्व मनाए जाएंगे। इस सप्ताह में कई ग्रह राशि परिवर्तन भी करेंगे।
आज (10 मार्च, शुक्रवार) चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि दिन भर रहेगी। शुक्रवार को चित्रा नक्षत्र होने से मूसल नाम का अशुभ योग दिन भर रहेगा। इनके अलावा वृद्धि और ध्रुव नाम के 2 अन्य योग भी इस दिन रहेंगे।
Numerology Rashifal: अंकों का जीवन के हर क्षेत्र में अपना खास महत्व है। ये अंक न सिर्फ हमारे लिए उपयोगी हैं बल्कि ये हमारे भविष्य को भी प्रभावित करते हैं। अंक ज्योतिष के माध्यम से भविष्य के बारे में काफी कुछ जाना जा सकता है।
Shukra Rashifal March 2023: ज्योतिष में कुल 9 ग्रह बताए गए हैं। शुक्र भी इनमें से एक है। इस ग्रह को चमकीला ग्रह भी कहते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जीवन के सभी भौतिक-सुविधाएं इसी ग्रह के अनुकूल होने पर प्राप्त होती हैं।
Weekly Horoscope March 2023: आने वाले सप्ताह के शुरूआत के 2 दिन फरवरी माह के और शेष मार्च 2023 के रहेंगे। सप्ताह के पहले ही दिन से होलाष्टक शुरू हो जाएगा और बुध ग्रह भी इसी दिन राशि बदलेगा।
वैसे तो अंक ज्योतिष का संबंध पुरातन वैदिक ज्योतिष से है, लेकिन वर्तमान में ये पश्चिमी देशों में अधिक प्रचलित है, इसलिए इसे पाश्चात्य विधा भी कहा जाता है। पहले के समय में ये संख्या शास्त्र का ही एक अंग हुआ करती थी।