संत कबीरदास हमारे देश के प्रमुख समाज सुधारकों में से एक थे। उनके दोहों में छिपे व्यंग्य समाज को चुभते जरूर थे, लेकिन सही रास्ता भी दिखाते थे। इसलिए कई बार धर्म के ठेकेदारों में उन्हें समाज से बाहर करने का प्रयास भी किया, लेकिन उनके प्रभाव को देखते हुए वे इसमें सफल नहीं हो पाए। समाज में फैली बुराइयों का कबीरदासजी ने पुरजोर विरोध किया।