बीएसएफ का कहना था कि कुछ लोगों ने सीमा पार करने की कोशिश की थी। ये नशा तस्कर हो सकते हैं। अभी भी सर्च ऑपरेशन चल रहा है।
गणतंत्र दिवस के मौके पर अटारी-वाघा बॉर्डर पर बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन हुआ। इस दौरान सेना के जवानों ने शौर्य का प्रदर्शन किया।
पुलिस ने जब महिला से कड़ाई से पूछताछ की तो उसने सारी कहानी बयां कर दी। महिला ने बताया कि 6 महीने पहले ऑनलाइन लूडो खेलते हुए पाकिस्तानी में रहने वाले अली नाम के युवक से उसकी दोस्ती हुई थी। दोनों ने एक-दूसरे के नंबर लिए और हम रोजाना घंटों बात करने लगे। इसी बीच अली ने मुझे मिलने के लिए पाकिस्तान बुलाया उसने कहा कि तुम किसी तरह से अटारी बॉर्डर तक आजाओ, फिर मैं वहां से तुमको यहां ले आऊंगा।
दिसंबर में भी बीएसएफ के जवानों ने आरएसपुरा सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे अल्लाह माई दे कोठे पोस्ट पर एक महिला पाकिस्तानी घुसपैठिये को मार गिराया था।
छत्तीसगढ़ के बस्तर के पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सुकमा जिले के किस्टाराम इलाके में सुबह करीब 6 बजे पड़ोसी राज्य तेलंगाना पुलिस की नक्सल रोधी ग्रेहाउंड ने मुठभेड़ में 6 माओवादियों को मार गिराया।
भारतीय सेना (Indian army) के कोर ऑफ इंजीनियर्स को दुश्मन की सेना और बख्तरबंदों या अपने क्षेत्र में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे आतंकवादियों (Terrorists) के खिलाफ रक्षा की पहली पंक्ति के रूप में कार्य करने के लिए एंटी पर्सनल (Anti Personal) और एंटी टैंक माइंस (Anti Tank Mines) का एक नया सेट मिल रहा है।
ये तस्वीर सिंघु बॉर्डर की है, जहां 378 दिनों तक किसान आंदोलन (Farmers protest) के चलते रास्ता बंद रहा। पुलिस ने बड़े-बड़े पत्थर, तार फेंसिंग और दीवारें खड़ी करके आवाजाही रोक दी थी। किसान आंदोलन समाप्त होने के बाद अब सिंघ बॉर्डर खोला जा रहा है।
सरकार के रिवाइज्ड ड्राफ्ट के साथ किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर एक साल से भी ज्यादा समय से जारी आंदोलन लगभग खत्म कर दिया है। 80 फीसदी तक किसान घरों की ओर लौटने लगे हैं। 15 दिसंबर तक सभी बॉर्डर खाली हो जाएंगे।
378 दिनों तक चले किसान आंदोलन (Farmers protest) समाप्त होने के बाद 11 और 12 दिसंबर को किसानों की घर वापसी होगी। इस दौरान पंजाब सरकार आंदोलित किसानों का जगह-जगह स्वागत करेगी। इस बीच नेशनल हाईवे 44 पर आंदोलन के दौरान बनाए गए ईंटों के मकान तोड़ दिए गए हैं।
किसान आंदोलन समाप्त होने के बाद दिल्ली की सीमा पर एक साल से डटे किसान घर लौट रहे हैं। बहुत से किसान शुक्रवार को लौट गए। वहीं, बाकी बचे किसान आज विजय रैली के बाद सिंघू बॉर्डर पर आंदोलन स्थल खाली करेंगे।