भैरव के बारे में प्रचलित है कि ये अति क्रोधी, तामसिक गुणों वाले तथा मदिरा के सेवन करने वाले हैं। इस अवतार का मूल उद्देश्य है कि मनुष्य अपने सारे अवगुण जैसे- मदिरापान, तामसिक भोजन, क्रोधी स्वभाव आदि भैरव को समर्पित कर पूर्णत: धर्ममय आचरण करें।
महाभारत के अनुसार- पांडवों और कौरवों के गुरु द्रोणाचार्य का पुत्र अश्वत्थामा काल, क्रोध, यम व भगवान शंकर के सम्मिलित अंशावतार थे।
धर्म ग्रंथों में भगवान शिव का एक नाम त्रिपुरारी भी बताया गया है। भगवान शिव के इस नाम के पीछे एक बहुत ही रोचक कथा है। इसी कथा के आधार पर कार्तिक मास की पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा (Tripurari Purnima 2021) कहा जाता है। इस बार ये पूर्णिमा 19 नवंबर, शुक्रवार को है।