ज्योतिष में ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को कम करने और उसको अपने पक्ष में करने के लिए कई रत्नों को धारण करने की सलाह दी जाती है। इन्हीं रत्नों में एक रत्न होता है नीलम।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हर ग्रह का एक विशेष रत्न होता है, जिसे पहनने से उस ग्रह से संबंधित शुभ फलों में वृद्धि होती है और दोषों का नाश होता है। ऐसा ही एक रत्न है लहसुनिया।
ज्योतिष शास्त्र में राहु को छाया ग्रह माना गया है। यह जिस भाव, राशि, नक्षत्र या ग्रह के साथ जुड़ जाता है, उसके अनुसार ही फल देने लगता है।
रत्नों में माणिक्य का प्रमुख स्थान है। ये सूर्य का रत्न है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह अत्यधिक शक्तिशाली है और आंखों, हड्डियों, ह्रदय तथा नाम- यश पर सीधा असर डालता है।
ज्योतिष शास्त्र के अंतर्गत रत्न विज्ञान का विशेष महत्व है। रत्न विज्ञान का उपयोग अलग-अलग रत्नों के माध्यम से ग्रहों के संबंधित शुभ फल पाने के लिए किया जाता है। हर ग्रह का एक अलग रत्न होता है जैसे मोती चंद्रमा का रत्न है।
ग्रहों से शुभ फल पाने के लिए कई रत्न पहने जाते हैं। हीरा भी उनमें से एक है। कुछ लोग इसे स्टेटस सिंबल समझकर ही पहन लेते हैं, जो कि गलत है। बिना ज्योतिषीय परामर्श के हीरा धारण नहीं करना चाहिए। इसके विपरीत परिणाम भी हो सकते हैं।
ग्रहों के दोष दूर करने और शुभ फल पाने के लिए अलग-अलग रत्न पहने जाते हैं। हर ग्रह का एक अलग रत्न होता है। गुरु से संबंधित शुभ फल पाने के लिए पुखराज पहना जाता है।
बता दें कि टाटा ग्रुप के चेयरमैन एमेरिटस रतन टाटा (83) ने अपना यह दौरा पूरी तरह से व्यक्तिगत रखा। उन्होंने इस बारे में किसी को नहीं बताया था। ना तो उनके साथ कोई बाउंसर था और ना ही उनकी कंपनी के बडे़-बड़े कर्मचारी।
रतन टाटा की दरियादिली और सरलता के किस्से आम हैं। यह मामला भी चौंकाता है। आमतौर पर कंपनी के मालिकों और उनके कर्मचारियों के बीच रिश्ते प्रोफेशनल होते हैं। अगर कर्मचारी नौकरी छोड़कर चला जाता है, तो मालिक शायद ही उसे याद करें। लेकिन रतन टाटा अपने पूर्व कर्मचारी की बीमारी की खबर सुनकर मुंबई से पुणे उससे मिलने जा पहुंचे।
प बंगाल में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले राज्य की ममता बनर्जी सरकार को बड़ा झटका लगा है। पूर्व क्रिकेटर लक्ष्मी रतन शुक्ला ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। वे बंगाल सरकार में खेल मंत्री थे।