अंक ज्योतिष के अनुसार, जिस तारीख को हमारा जन्म होता है वो भी हमारे जीवन पर अच्छा-बुरा असर डालती है क्योंकि उस तारीख को जो योग होता है, वह हमारा मूलांक होता है और किस न किसी ग्रह से संबंधित होता है।
आज (21 जून, मंगलवार) कालाष्टमी है। इस दिन भगवान कालभैरव की पूजा विशेष रूप से की जाती है और उपाय भी किए जाते हैं। इन उपायों से ग्रहों के अशुभ फल से छुटकारा मिलता है।
ज्योतिष शास्त्र में कुल 27 नक्षत्र बताए गए हैं। इनमें से पुष्य को नक्षत्रों का राजा कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि पुष्य नक्षत्र में खरीदी गई कोई भी चीज लंबे समय तक उपयोग में बनी रहती है और घर में सुख-समृद्धि भी लाती है।
ज्योतिष शास्त्र में शनि को सबसे धीरे चलने वाला ग्रह कहा जाता है, इसलिए इसका नाम शनै यानी धीरे चलने वाला रखा गया है। शनि लगभग ढाई साल में एक बार राशि बदलता है। इस तरह इसे 12 राशियों का चक्र पूरा करने से 30 साल का समय लग जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, समय-समय पर हर ग्रह राशि बदलता है, साथ ही उदय-अस्त, मार्गी और वक्री भी होता है। ये सभी स्थितियां मानव जीवन को प्रभावित करती हैं। इनमें से जो ग्रह हम पर सबसे अधिक प्रभाव डालता है वो है शनि।
धर्म ग्रंथों में ज्येष्ठ मास की अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है, क्योंकि इस दिन शनि जयंती (Shani Jayanti 2022) और वट सावित्री व्रत किया जाता है। इस बार ये तिथि 30 मई को है।
इस बार 30 मई, सोमवार को शनि जयंती (Shani Jayanti 2022) का पर्व मनाया जाएगा। शनिदेव को ज्योतिष शास्त्र में न्यायाधीश कहा गया है यानी मनुष्यों को उनके अच्छे-बुरे कर्मों का फल वे ही प्रदान करते हैं।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती (Shani Jayanti 2022) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 30 मई, सोमवार को है। मान्यता है कि इसी तिथि पर भगवान शनिदेव का जन्म हुआ था।
ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि जयंती (Shani Jayanti 2022) का पर्व मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार, इसी तिथि पर भगवान शनिदेव का जन्म हुआ था। इस बार ये तिथि 30 मई, सोमवार को है।
हिंदू कैलेंडर का तीसरा महीना ज्येष्ठ (Jyeshtha month 2022) 17 मई से शुरू हो चुका है, जो 14 जून तक रहेगा। धर्म ग्रंथों में इस महीने का विशेष महत्व बताया गया है। इस महीने में कई बड़े त्योहार भी मनाए जाते हैं।