October 2023 Mai Shivratri Kab hai: हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत और पूजा की जाती है। इसे मासिक शिवरात्रि व्रत कहते हैं। इस व्रत को करने से घर में हर परेशानी दूर हो सकती है।
Indira Ekadashi 2023 Kab Hai: श्राद्ध पक्ष एकादशी बहुत खास मानी गई हैं। इस एकादशी का महत्व कईं धर्म ग्रंथों में मिलता है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से पितरों की आत्मा सदा के लिए तृप्त हो जाती है।
29 सितंबर, शुक्रवार को उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र पूरे दिन रहेगा, जिससे केतु नाम का शुभ योग बनेगा। इनके अलावा इस दिन वृद्धि और ध्रुव नाम के 2 अन्य योग भी रहेंगे। राहुकाल सुबह 10:48 से दोपहर 12:17 तक रहेगा।
Pitru Paksha 2023: हर साल भाद्रपद की पूर्णिमा तिथि से आश्विनी मास की अमावस्या तक श्राद्ध पक्ष मनाया जाता है, जिसे पितृ पक्ष भी कहते हैं। इन 16 दिनों में लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान आदि करते हैं।
Shraddh Paksha 2022: श्राद्ध पक्ष में हर तिथि का अपना खास महत्व होता है। लेकिन इन सभी में चतुर्दशी तिथि बहुत खास मानी गई है। इस दिन सिर्फ उन्हीं लोगों का श्राद्ध करना चाहिए, जिनकी मृत्यु घटना-दुर्घटना में या किसी शस्त्र के द्वारा हुई हो।
Pradosh Vrat 2022: भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कई व्रत किए जाते हैं। प्रदोष व्रत भी इनमें से एक है। ये व्रत हर महीनें के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है। इस बार ये तिथि 23 सितंबर, शुक्रवार को है।
Indira Ekadashi 2022: धर्म ग्रंथों में एकादशी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। एक साल में 24 एकादशी होती है। इन सभी का नाम और महत्व अलग-अलग है। इस बार 21 सितंबर, बुधवार को इंदिरा एकादशी का व्रत किया जाएगा।
Shraddh Paksha 2022: इन दिनों श्राद्ध पक्ष चल रहा है, जो 25 सितंबर तक रहेगा। श्राद्ध से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं हमारे समाज में प्रचलित हैं। उसी में से एक मान्यता ये भी है कि श्राद्ध के दौरान खरीदी नहीं करनी चाहिए।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार अनंत चतुर्दशी के बाद पितृपक्ष या श्राद्ध आता है। इस समय विशेष रूप से तैयार भोजन तैयार करके और चढ़ाकर अपने पूर्वजों के प्रति अपना धन्यवाद व्यक्त किया जाता है। आइए हम आपको बताते हैं, कि पितृपक्ष को दौरान आपको क्या बनाना चाहिए।
Shraddha Paksha 2022: भाद्रपद मास की पूर्णिमा से अश्विन मास की अमावस्या तक श्राद्ध पक्ष होता है। इन 16 दिनों में पितरों को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि किया जाता है। इसे पितृ पक्ष भी कहते हैं।